विजेंदर सिंह, संजय निरुपम, गौरव वल्लभ... लोकसभा चुनाव के बीच क्यों 24 घंटे में कांग्रेस को लगे तीन झटके?
लोकसभा चुनाव 2024 के बीच 24 घंटे में कांग्रेस ने तीन राज्यों में अपने तीन बड़े चेहरे गंवा दिए. तीनों ही नेशनल लेवल पर कांग्रेस की तरफदारी में जी-जान से जुटे थे. मुक्केबाज विजेंदर सिंह और प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर लिया. वहीं, कांग्रेस के एक्शन के बाद संजय निरुपम ने जमकर निशाने साधे.
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले नेताओं का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा. लोकसभा चुनाव 2024 की जारी प्रक्रियाओं के बीच बीते 24 घंटे में कांग्रेस को तीन बड़े झटके लगे हैं. इनमें मुक्केबाज विजेंदर सिंह, प्रवक्ता और पूर्व सांसद संजय निरुपम और राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ का नाम शामिल है.
विजेंदर और गौरव भाजपा में शामिल, निरुपम ने कांग्रेस को कोसा
विजेंदर सिंह और गौरव वल्लभ ने कांग्रेस छोड़ने के फौरन बाद भाजपा ज्वाइन कर लिया. दूसरी ओर, कांग्रेस के एक्शन के बाद संजय निरुपम ने पार्टी आलाकमान के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली. उन्होंने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस को कम्युनिस्टों से घिरे होने, पांच लॉबियों के चक्कर में पिसते और झूठे सेक्यूलरिज्म के पाखंड में बर्बाद होती पार्टी करार दिया है. निरुपम ने कहा कि 'खिचड़ी चोर' किसी और को कहा तो पता नहीं क्यों दर्द होने लगा.
इंडी गठबंधन से सहयोगी दल और कांग्रेस से छिटक रहे बड़े नेता
लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी सरकार के मुकाबले के लिए विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन की अगुवाई कर रही कांग्रेस के अपने नेताओं के दूर होने का सिलसिला लगातार जारी है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के भारत जोड़ो न्याय यात्रा के शुरू होने के बाद से बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने और गठबंधन के सहयोगी दलों के अलग होने को लेकर भाजपा और एनडीए के दल कांग्रेस पर तंज भी कस रहे हैं. वहीं, कांग्रेस अपनी पार्टी में हो रही दिक्कतों के लिए भाजपा को कसूरवार ठहराने में लगी है.
क्यों दिग्गज नेता कांग्रेस को छोड़ने पर मजबूर हो रहे, निरुपम ने बताया
कांग्रेस से दूर जाते नेताओं के बयानों को देखें तो अब तक का सबसे ज्यादा तीखा हमला महाराष्ट्र के नेता संजय निरुपम ने किया है. उन्होंने एक तरह से यह बताया है कि क्यों कई दिग्गज नेता कांग्रेस को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं. निरुपम ने साफ कहा कि कांग्रेस पर कम्युनिस्ट हावी हो चुके हैं. इसके अलावा, कांग्रेस में अब 5 पावर सेंटर हैं, उनकी अलग-अलग लॉबी बन गई है और आपस में उन सबका टकराव बना हुआ है. संजय निरुपम ने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल की रस्साकशी में कई जमीनी नेता पीस रहे हैं.
निरुपम ने निकाले जाने को बताया गलत, इस्तीफे का स्क्रीन शॉट दिखाया
महाराष्ट्र कांग्रेस में उठा-पटक के बीच कांग्रेस ने पार्टी विरोधी बयानबाजी के आरोप में कार्रवाई करते हुए संजय निरुपम को 6 साल के लिए बाहर निकाला तो निरुपम ने अपने इस्तीफे के मेल का स्क्रीनशॉट शेयर कर एक्स पर लिखा, 'मैंने खुद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. उसके बाद पार्टी ने सस्पेंड करने का प्रेस नोट जारी किया है. ऐसा लगता है कि कल रात मेरा इस्तीफा मिलने के तुरंत बाद पार्टी ने निष्कासन लेटर जारी करने का फैसला किया.
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम करेंगे बॉक्सर विजेंदर सिंह
इंटरनेशनल बॉक्सर विजेंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामते वक्त कहा कि अब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम करेंगे. पीएम मोदी के कार्यकाल में देश और दुनिया में हमारे खिलाड़ियों का मान-सम्मान बढ़ा है. यह आगे भी जारी रहेगा. कांग्रेस के टिकट पर साउथ दिल्ली से पिछला चुनाव हार गए विजेंदर इस बार अपने गृह क्षेत्र भिवानी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे. कांग्रेस उन्हें मथुरा सीट से चुनाव मैदान में उतारना चाहती थी. हालांकि, यह भी मुमकिन नहीं हो पाया.
कांग्रेस दिशाहीन, सनातन विरोधी और वेल्थ क्रिएटर्स के खिलाफ- गौरव
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने लोकसभा चुनाव से पहले अपना इस्तीफा मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया. उन्होंने कांग्रेस को दिशाहीन, सनातन विरोधी और देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली देने वाला करार दिया. जाति जनगणना जैसे कारणों का भी उन्होंने हवाला दिया. गौरव ने एक्स पर लिखा कि उनके ज्वाइन करते वक्त से अब की कांग्रेस में जमीन आसमान का अंतर आ गया है.
हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में कांग्रेस को नुकसान की आशंका
हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में कांग्रेस के बड़े चेहरे माने जाते इन तीन दिग्गज नेताओं के पार्टी छोड़ने से बड़ा नुकसान हो सकता है. क्योंकि इन नेताओं का एक खास क्षेत्र में जनाधार के अलावा मीडिया समेत कई क्षेत्रों में भी इंफ्लुएंस है. दूसरी ओर, तीनों नेताओं की जातियों के वोट बैंक पर भी असर हो सकता है. इसके अलावा मुद्दों की लड़ाई में भी भाजपा के मुकाबले कांग्रेस पिछड़ सकती है. क्योंकि इस बार चुनाव में राम मंदिर और सनातन का मुद्दा छाया रहने वाला है
साभार