99 पर नाबाद लौटा ये भारतीय बल्लेबाज, आखिर क्यों नहीं बना सका एक और रन
देवदत्त पडिक्कल इस वक्त महाराजा ट्रॉफी में खेल रहे हैं। इस दौरान वे मंगलवार को 99 रन पर नाबाद लौटे। इसी बीच ओवर समाप्त हो गए।
क्रिकेट का कोई भी फॉर्मेट हो, बल्लेबाज के लिए शतक काफी मायने रखता है। लेकिन कोई खिलाड़ी अगर 99 रन बना ले तो सेंचुरी के लिए केवल एक ही और रन की दरकार रहती है। यहां पर अक्सर खिलाड़ी आउट हो जाते हैं, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि बल्लेबाज 99 रन पर नाबाद लौटे। अब देवदत्त पडिक्कल के साथ ऐसा ही हुआ है। उन्होंने 99 रन तो बना दिए, लेकिन एक और रन नहीं बना पाए, जो वे अपना शतक पूरा कर पाते।
महाराजा ट्रॉफी में खेल रहे हैं देवदत्त पडिक्कल
भारतीय टीम से बाहर चल रहे देवदत्त पडिक्कल इस वक्त महाराजा ट्रॉफी में खेल रहे हैं। वे एचटी यानी हुबली टाइगर्स का हिस्सा हैं। मंगलवार को वे अपनी टीम के लिए ओपनिंग के लिए उतरे। लेकिन जब 20 ओवर खत्म हुए तो 99 रन पर नाबाद वापस आए। दरअसल जब 19 ओवर पूरे हुए तो देवदत्त 97 रन पर खेल रहे थे। उम्मीद थी कि वे अपना शतक पूरा कर लेंगे, लेकिन 20वें ओवर की पहली बॉल पर उनके पास स्ट्राइक नहीं थी। 20वें ओवर की पहली बॉल का सामना क्रांति कुमार ने किया। उन्होंने पहली ही बॉल पर अपना काम किया। यानी सिंगल ले लिया।
आखिरी ओवर में भी था पडिक्कल के पास मौका
अभी पारी की 5 और गेंदें बाकी थीं और अब देवदत्त के पास अपना शतक पूरा करने का भरपूर मौका था। लेकिन ओवर की दूसरी बॉल पर उन्होंने केवल सिंगल ही लिया। तीसरी बॉल फिर क्रांति कुमार खेल रहे थे। उन्होंने फिर सिंगल लेकर देवदत्त को स्ट्राइक दे दी, ताकि वे अपना शतक पूरा कर पाएं, लेकिन ओवर की चौथी बॉल पर देवदत्त कोई रन नहीं बना सके। हालांकि अभी वे स्ट्राइक पर थे और शतक पूरा कर सकते थे, लेकिन पांचवीं बॉल पर उन्होंने एक रन लिया और शतक पूरा नहीं कर पाए। इस तरह से वे 99 रन पर नाबाद लौटे। जब देवदत्त का शतक पूरा नहीं हुआ तो आखिरी बॉल पर क्रांति ने जोरदार छक्का लगाने का काम किया।
ऐसी रही देवदत्त पडिक्कल की पारी
देवदत्त पडिक्कल ने अपनी पारी के दौरान 64 बॉल का सामना किया, उन्होंने 10 चौके और 5 छक्के लगाए। यही वजह रही कि उनकी यानी हुबली टाइगर्स की टीम 210 रन का स्कोर खड़ा करने में कामयाब रही। उनके अलावा अभिनव मनोहर ने भी 23 बॉल पर 50 रन की बेहतरीन पारी खेली। आखिरी ओवर में देवदत्त के पास भरपूर मौका था कि वे अपना शतक पूरा करें, लेकिन वे इससे चूक गए। इसका कष्ट तो उन्हें जरूर हुआ होगा, लेकिन टीम हित में वे इसे जल्द ही भूल भी जाएंगे, अगर टीम मैच में जीत दर्ज कर ली।
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