केंद्रीय नेतृत्व का डॉ. मोहन यादव के दमदार नेतृत्व को समर्थन, खंडेलवाल की ताजपोशी से इशारा साफ़
हेमंत खंडेलवाल की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नियुक्ति ने मध्यप्रदेश में मोहन यादव के नेतृत्व को मजबूत किया है, यह बदलाव गुटबाज़ी से नीति आधारित नेतृत्व की ओर संकेत करता है।
1 जुलाई 2025। मध्यप्रदेश भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन केवल एक संगठनात्मक बदलाव नहीं, बल्कि आने वाले राजनीतिक संकेतों का स्पष्ट संदेश है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पसंद पर भरोसा जताते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह फैसला न केवल पुराने गुटों के लिए झटका है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मोहन यादव अब केवल सरकार नहीं चला रहे, संगठन की दिशा भी तय कर रहे हैं।
खंडेलवाल की ताजपोशी से स्पष्ट हुआ राजनीतिक संदेश
हेमंत खंडेलवाल, जिनकी छवि सादगी, संगठन निष्ठा और प्रशासनिक अनुभव से जुड़ी है, की नियुक्ति यह संकेत देती है कि पार्टी अब कम दिखावे और अधिक काम करने वाली टीम के साथ आगे बढ़ना चाहती है। इससे उन नेताओं को साफ संकेत गया है जो वर्षों से केवल समीकरणों और गुटबाज़ी के भरोसे प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में थे।
केंद्रीय नेतृत्व की मोहन यादव पर पूरी मुहर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पहले भी मध्यप्रदेश भाजपा की संगठनात्मक शैली की सार्वजनिक मंचों से सराहना कर चुके हैं। अब खंडेलवाल की ताजपोशी के जरिए केंद्रीय नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व को न केवल स्वीकार कर रहे हैं, बल्कि पूरा समर्थन भी दे रहे हैं।
लो-प्रोफाइल, हाई-परफॉर्मेंस: भाजपा की नई परिभाषा
मोहन यादव और खंडेलवाल दोनों संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं, लो-प्रोफाइल हैं लेकिन काम के प्रति समर्पित और परिणाम देने वाले नेता माने जाते हैं। संगठन में लंबे समय से कार्य करने का अनुभव और विधानसभा में साथ काम करने की सहजता, इस जोड़ी को भाजपा के लिए संगठनात्मक स्थिरता और विकास की रीढ़ बना सकती है।
पुराने समीकरण टूटे, नई लय स्थापित
इस फैसले ने पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को झटका जरूर दिया है, लेकिन इसके साथ ही एक नई संगठनात्मक लय की भी शुरुआत हो गई है। मोहन यादव की भूमिका अब केवल मुख्यमंत्री तक सीमित नहीं रही — उन्होंने यह साबित कर दिया कि वे पार्टी के भविष्य की दिशा तय करने में भी सक्षम हैं।
खंडेलवाल की ताजपोशी के साथ भाजपा ने यह संकेत दिया है कि अब मध्यप्रदेश में नेतृत्व का केंद्र मोहन यादव हैं। गुटबाज़ी, दबाव और चेहरे आधारित राजनीति की जगह अब नीति, नीयत और निष्कलंक नेतृत्व को बढ़ावा मिलेगा। संगठन और सरकार की यह नई जुगलबंदी 2028 की तैयारी की मजबूत नींव बन सकती है।