कितनी देर हिरासत में रखे जाते हैं प्रदर्शन करने वाले नेता, इसे लेकर क्या हैं नियम?
दिल्ली में SIR और कथित वोट चोरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे विपक्ष के कुछ नेताओं को पुलिस हिरासत में लिया गया है. चलिए जानें कि नेताओं को हिरासत में रखने के क्या नियम हैं
विपक्षी इंडिया गठबंधन गठबंधन के घटक दलों के सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण SIR और कथित वोट चोरी के खिलाफ आज (सोमवार) संसद भवन से निर्वाचन आयोग मुख्यालय तक अपना मार्च शुरू किया था. इस दौरान जब पुलिस ने इनको रोकने की कोशिश की तो सांसदों ने जमकर हंगामा किया, जिसके बाद पुलिस ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. चलिए जानें कि प्रदर्शन करने वाले नेता कितनी देर तक हिरासत में रखे जाते हैं और इसको लेकर क्या नियम हैं
विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग भाजपा के साथ मिलकर वोटों की चोरी कर रहा है. उनका यह भी कहना है कि बिहार में SIR मतदाताओं के हित के बजाय अहित कर रहा है. एसआईआर की वजह से लाखों की संख्या में मतदाताओं के अधिकार छीन लिए गए हैं.
नेताओं को हिरासत में रखने के नियम
हिरासत में रखने के नियम की बात करें तो अगर किसी भी शख्स को हिरासत में रखा गया है तो 24 घंटे से ज्यादा किसी को हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. अगर 24 घंटे से ज्यादा किसी को हिरासत में रखा जाता है तो उसे पुलिस को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है, इसके बाद गिरफ्तारी होती है. नेताओं की बात की जाए तो उनको सुरक्षा की दृष्टि से डिटेन करते हैं. लेकिन हालात शांत होने के बाद उनको छोड़ दिया जाता है.
नेता हो या आम आदमी किसी को भी 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. नेताओं को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए डिटेन किया जाता है. आज भी यही किया गया है, जब चीजें शांत हो जाएंगी तो उन नेताओं को छोड़ दिया जाएगा.
हिरासत के मुख्य नियम
हिरासत में रखने के नियम, गिरफ्तारी और हिरासत से संबंधित कानूनी प्रावधानों को संदर्भित करते हैं. गिरफ्तारी के बाद से किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर निकटतम मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है. गंभीर मामलों की बात की जाए पुलिस 15 दिनों तक की रिमांड ले सकती है, जिसको कि बाद में बढ़ाया जा सकता है. हिरासत में उस व्यक्ति को उचित सुविधाएं और सुरक्षा दी जाती है.
हिरासत में व्यक्ति को अपने वकील से मिलने का अधिकार होता है. गिरफ्तारी के 48 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट को यह निर्धारित करना होता है कि कोई संभावित कारण है या नहीं, नहीं तो उस व्यक्ति को रिहा करना होता है.
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