छतरी, लिपस्टिक, किताब... वे 5 सीक्रेट हथियार, जिनसे जासूस चुपचाप ले लेते हैं दुश्मन की जान!

जासूसों की दुनिया में कई ऐसे सीक्रेट हथियार होते हैं, जिनका इस्तेमाल बहुत कम किया जाता है. इन हथियारों को तब प्रयोग में लिया जाता है, जब जासूस को किसी दुश्मन को चुपचाप रास्ते से हटाना होता है. चलिए, जानते हैं ऐसे 5 सीक्रेट वेपन्स के बारे में.

Feb 21, 2025 - 11:55
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छतरी, लिपस्टिक, किताब... वे 5 सीक्रेट हथियार, जिनसे जासूस चुपचाप ले लेते हैं दुश्मन की जान!

पेजर बम से हिजबुल्लाह के लड़ाके मारे गए

ऐसे ही मोबाइल बम का भी होता है इस्तेमाल

नई दिल्ली: Spy Agents Secret Weapons: दुनिया में MOSSAD से लेकर RAW तक, कई इंटेलिजेंस एजेंसियां हैं जो अपने जासूसों को कड़ी ट्रेनिंग देती हैं. इन एजेंसियों के जासूस भी काफी हाईटेक हो चुके हैं. ये आमतौर पर ऐसे हिडन वेपन रखते हैं, जो नजर तो सबको आते हैं लेकिन शायद ही कोई अंदाजा लगा पाए कि ये जानलेवा हथियार हैं. चलिए, जानते हैं कि आखिरकार जासूस कौनसे हथियारों के जरिये अपने दुश्मनों को चुपचाप रास्ते से हटा देते हैं.

लिपस्टिक जैसी दिखने वाली गन

KGB सोवियत यूनियन की इंटेलिजेंस एजेंसी हुआ करती थी. 1960 के दशक में पश्चिम और पूर्व के मुल्कों में दुश्मनी गहरा चुकी थी. इस दौरान जासूसी का दौर शुरू हुआ, ताकि सीक्रेट चीजें बाहर आ सकें. साल 1965 में बर्लिन में एक KGB एजेंट के पास से लिपस्टिक जैसी दिखने वाली चीज बरामद की गई. बाद में पता चला कि ये लिपस्टिक जैसी नजर आने वाली चीन एक गन है. इसका नाम 'किस ऑफ डेथ' रखा गया था.

जहर देने वाली छतरी

आपने राजी मूवी तो देखी ही होगी. उसमें आलिया भट्ट ने जासूस सहमत खान की भूमिका निभाई. सहमत की पाक में शादी होती है, उसके जेठ को शक होने लगता है कि वह जासूस है. इसलिए सहमत छतरी में जहर भरकर जेठ के घुटने पर चुभा देती है, जिससे उसकी मौत हो गई. ऐसा ही असल में भी होता है. द सन को पूर्व खुफिया अधिकारी फिलिप इनग्राम ने बताया था कि हमने लंदन की सड़कों पर ऐसी छतरियों का इस्तेमाल होते देखा है, जिनमें जहर भरा होता था.

मोबाइल में बम

आजकल मोबाइल हर किसी की जरूरत बन चुका है. जासूस किसी को चुपचाप मारना चाहते हैं तो मोबाइल बम का इस्तेमाल भी करते हैं. बीते साल ही इंटेलिजेंस एजेंसी मोसाद ने हिजबुल्लाह के लड़ाकों को पेजर बम से मार गिराया था. ऐसा ही मोबाइल बम भी होता है. पेजर या मोबाइल बम बन चुका है, ये किसी को नहीं पता चलता.

किताब वाला बम

मोसाद ने हिजबुल्लाह के फाउंडर अली अकबर मोहतशामीपोर को 14 फरवरी, 1984 को किताब भेजी. अली अकबर ने जैसे ही किताब खोली एक बड़ा ब्लास्ट हुआ. इसमें अली अकबर की जान तो बच गई लेकिन उनका एक सुरक्षा गार्ड मारा गया. अली अकबर की दो अंगुलियां भी नहीं रही थीं.

कार बम

कार बम भी जासूसों की दुनिया में बेहद प्रचलित है. जब किसी दुश्मन को निपटाना होता है, तो कई बार कार बम का इस्तेमाल किया जाता है. मोसाद ने कई ऑपरेशन ऐसे किए हैं, जिनमें कार बम का प्रयोग हुआ.

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