देश का पहला विमान हाइजैक: जब लाहौर से सुरक्षित भारत आ गए थे सभी यात्री.. हाईजैकर्स की मांग भी नहीं मानी गई
लाहौर पहुंचते ही पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता जुल्फिकार अली भुट्टो ने हाइजैकर्स से मुलाकात की और उन्हें समर्थन दिया. यात्रियों को दो दिन बाद भारत वापस भेज दिया गया लेकिन विमान को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने विस्फोट कर उड़ा दिया.
जिस साल बांग्लादेश नया मुल्क बना था और वह पाकिस्तान से आजाद हुआ था उसी साल 30 जनवरी 1971 को भारत में पहली बार विमान हाइजैकिंग की घटना हुई थी. इंडियन एयरलाइंस का फोकर फ्रेंडशिप विमान गंगा श्रीनगर से जम्मू जा रहा था. विमान में दो युवा सवार थे. इनका नाम हाशिम कुरैशी और अशरफ कुरैशी था. दोनों पहली बार विमान यात्रा कर रहे थे लेकिन उनकी घबराहट की असली वजह कुछ और थी. वो इस विमान को हाइजैक करने वाले थे. ठीक 11:30 बजे विमान ने उड़ान भरी और जम्मू की ओर बढ़ा, लेकिन कुछ ही देर बाद यह घटना भारत के इतिहास में दर्ज हो गई.
कैसे हुआ विमान का अपहरण?
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अनुषा नंदकुमार और संदीप साकेत ने अपनी किताब 'द वॉर दैट मेड आर एंड एडब्ल्यू' में लिखा है कि हाशिम ने अशरफ की तरफ देखा दोनों ने सिर हिलाया कलमा पढ़ा और अपने बैग से पिस्टल और हैंड ग्रेनेड निकाल लिया. हाशिम कॉकपिट की तरफ बढ़ा और पिस्टल की नाल पायलट के सिर पर लगा दी. अशरफ ने यात्रियों को धमकाया और पूरे विमान में पिन ड्राप साइलेंस हो गया.
अपहरण के बाद दोनों ने विमान को रावलपिंडी पाकिस्तान ले जाने की धमकी दी. लेकिन जब पायलट ने बताया कि विमान में इतना ईंधन नहीं है कि वो रावलपिंडी पहुंच सके तो उसे लाहौर एयरपोर्ट पर उतरने की अनुमति मिल गई. पाकिस्तान सरकार इस स्थिति को लेकर चिंतित थी क्योंकि अगर भारतीय विमान पाकिस्तानी क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो जाता तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी तय थी.
कहानी में ट्विस्ट: पाकिस्तान ने बताई रॉ की भूमिका
भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग पहले से ही पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी. रिपोर्ट के मुताबिक रॉ प्रमुख रामनाथ काव को यह अंदेशा था कि पाकिस्तान कश्मीर में उग्रवाद को बढ़ावा देने के लिए किसी बड़े षड्यंत्र में शामिल हो सकता है. उसी दौरान सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने हाशिम कुरैशी को भारत में हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी करते हुए पकड़ लिया था. पूछताछ में उसने कबूल किया कि उसे पाकिस्तान में चरमपंथी संगठन 'नेशनल लिबरेशन फ्रंट' (NLF) ने ट्रेनिंग दी थी और भारतीय विमान को हाईजैक करने का निर्देश मिला था.
पाकिस्तान का खेल और विमान का विस्फोट
लाहौर पहुंचते ही पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता जुल्फिकार अली भुट्टो ने हाइजैकर्स से मुलाकात की और उन्हें समर्थन दिया. यात्रियों को दो दिन बाद भारत वापस भेज दिया गया लेकिन विमान को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने विस्फोट कर उड़ा दिया. इससे भारत के उस शक को बल मिला कि पाकिस्तान ही इस पूरी साज़िश के पीछे था.
इस घटना के बाद भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया कि पश्चिमी पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान जाने वाले सभी विमानों के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र बंद कर दिया गया. इसका सीधा असर 1971 के युद्ध पर पड़ा क्योंकि पाकिस्तानी सेना के लिए पूर्वी पाकिस्तान तक मदद पहुंचाना मुश्किल हो गया.
इस घटना के बाद पाकिस्तान ने उल्टा भारत पर आरोप लगाया कि यह हाइजैकिंग भारत की अपनी साजिश थी ताकि उसे पाकिस्तानी विमानों पर प्रतिबंध लगाने का बहाना मिल सके. गैरी बास ने अपनी किताब 'द ब्लड टेलीग्राम' में लिखा कि याहया ख़ान की सरकार ने इसे भारत की एक चाल बताया. लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इस दावे को खारिज कर दिया.
हाशिम कुरैशी की पाकिस्तान में गिरफ़्तारी
पाकिस्तान में पहले तो हाशिम और अशरफ को हीरो की तरह पेश किया गया लेकिन बाद में उन्हें गिरफ़्तार कर दिया गया और हाशिम को 19 साल की सजा सुनाई गई. हालांकि 1980 में वह रिहा हुआ और हालैंड चला गया. 2000 में उसने भारत लौटने की इच्छा जताई और जैसे ही दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा उसे यहां भी गिरफ्तार कर लिया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व रॉ अधिकारी बी रमण ने अपनी किताब 'द काओ बॉयज़ ऑफ आर एंड एडब्ल्यू' में लिखा कि इंदिरा गांधी के भारत के हवाई क्षेत्र को पाकिस्तान के लिए बंद करने वाले कदम ने 1971 के युद्ध में भारत की जीत सुनिश्चित कर दी. भारतीय हवाई क्षेत्र बंद होने से पाकिस्तानी सेना की पूर्वी पाकिस्तान में मदद भेजने की क्षमता पूरी तरह से खत्म हो गई थी. फिलहाल अभी भी विमान हाईजैक करने वाले हाशिम कुरैशी श्रीनगर में रहते हैं और वे शुरू से ही जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक लिबरेशन पार्टी से जुड़े हुए हैं.
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