भाजपा का 'ब्रह्मास्त्र' सबको पता है, कांग्रेस हिंदू-हिंदू कब बोलेगी!

गुजरात में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन 64 साल बाद हो रहा है. यहां कई बड़े फैसले लिए जाएंगे. गुजरात में पार्टी 3 दशक से सत्ता से दूर है. राज्यों के साथ-साथ पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर भी अपने घटते जनाधार को बढ़ाने की चुनौती है. ऐसे में क्या मुख्य विपक्षी दल हिंदुओं की बात करना शुरू करेंगे?

Apr 8, 2025 - 12:00
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भाजपा का 'ब्रह्मास्त्र' सबको पता है, कांग्रेस हिंदू-हिंदू कब बोलेगी!

भारत एक सेक्युलर देश है. कई मुस्लिम स्कॉलर, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और संत भी कह चुके हैं कि हिंदुओं का अंतर्मन ही सेक्युलर है. वह हर पूजा के बाद 'सर्वे भवन्तु सुखिन: ' का उद्घोष करता है. ऐसे देश में क्या किसी राजनीतिक दल का बहुसंख्यक हिंदुओं की बात करना गलत है? 11 साल से भाजपा केंद्र की सत्ता में है, उधर मुख्य विपक्षी दल एक दशक से कन्फ्यूजन की स्थिति में ही दिख रही है. हां, ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा लगातार अपने एजेंडे पर काम करते हुए हिंदू बहुसंख्यकों के साथ-साथ गरीब और पिछड़े मुसलमानों को भी साध रही है लेकिन कांग्रेस दुविधा में है. एक समय मुस्लिम हितैषी का चोला ओढ़ने के बावजूद आज वह खुलकर न तो मुस्लिमों से कनेक्ट हो पा रही है और न ही खुलकर हिंदुओं की बातें कर रही है. अहमदाबाद में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा है, तो मुख्य विपक्षी दल को इस सवाल का जवाब सबसे पहले ढूंढना होगा.

भाजपा का एजेंडा

हाल में वक्फ संशोधन बिल 2025 संसद से पारित हुआ. नरेंद्र मोदी सरकार के लिए शायद कुछ मुश्किल होती लेकिन 'सुधार' की बात ने सब आसान बना दिया. तीन तलाक, आर्टिकल 370, लव जिहाद, कक्षा में हिजाब बैन, सड़क पर नमाज नहीं जैसे कई फैसले लोगों की जुबान पर हैं. सरकार का साफ तौर पर कहना है कि वह देश की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी की चिंताओं को लेकर आंख नहीं मूंद सकती. मुस्लिम समुदाय के नेता और एक तबका भले ही नाराज दिख रहा हो लेकिन भाजपा ने अल्पसंख्यक समुदाय में भी अपना एक सपोर्ट बेस तैयार कर लिया है जो सरकारी योजनाओं का लाभ पा रहे हैं. यह भाजपा की सफलता कही जाएगी लेकिन कांग्रेस का क्या? अल्पसंख्यक हितैषी का दावा करने वाली कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी ही संसद में वक्फ बिल पर आधी रात तक चली बहस में नहीं बोले जबकि कास्ट पर एजेंडा-सेटर वही थे. प्रियंका भी संसद में नहीं थीं.

वास्तव में भाजपा ने 11 साल के भीतर हिंदुओं का काफी हद तक एकजुट समर्थन हासिल करने में सफलता हासिल की है तो कांग्रेस हिंदुओं से उतनी ही दूर होती गई. विडंबना यह है कि कांग्रेस मुस्लिमों की आवाज भी जोरशोर से नहीं उठाती है. शायद वह बदले माहौल में सोच रही हो कि उस पर एकतरफा होने का आरोप न लगे लेकिन इस चाहत में वह हिंदुओं को मानो भूल ही गई. ऐसा लगता है कि ग्रैंड ओल्ड पोर्टी के नेताओं को हिंदुओं की बात करने में झिझक होती है.

कांग्रेस को समझना होगा...

हां, कांग्रेस को समझना होगा कि पहले का दौर अब वापस नहीं आ सकता. सियासी तौर पर भाजपा से मुकाबला करना है तो अपनी पिच मजबूत करनी होगी. 11 साल पहले हिंदू वोटर कई जातियों में बंटकर वोट देते थे लेकिन अब उनका एकतरफा मोबिलाइजेशन देखा जा रहा है. कम से कम नॉर्थ इंडिया में तो ऐसा ही है. अगर कांग्रेस अपने शब्दकोष में हिंदुओं को नहीं लाती है तो वही होगा जो तीन लोकसभा चुनावों और तमाम राज्यों के चुनाव में होता आया है. चुनाव प्रचार का आखिरी दौर आते-आते भाजपा अपना ब्रह्मास्त्र चलेगी और 'हिंदू खतरे में' की बातें होने लगेंगी. इसके बाद कांग्रेस फंसती दिखेगी. वह अल्पसंख्यकों पर बोलना भी बंद कर देगी क्योंकि उसे लगेगा कि ऐसा करने से भाजप का ब्रह्मास्त्र बहुसंख्यकों को एकजुट करेगा, जिसका सीधा फायदा भाजपा को होगा.

अब वक्त आ गया है कि कांग्रेस इस सच्चाई को स्वीकार करे कि आज के समय में हिंदुओं की बात किए बगैर कम से कम चुनाव तो नहीं जीते जा सकते. और यह नरैटिव भी तोड़ना होगा कि हिंदुओं की बात करने से धर्मनिपरेक्षता से हम दूर चले जाएंगे.

वैसे भी कांग्रेस सारे जतन करके देख चुकी है. संविधान खतरे में, निष्पक्ष चुनाव खतरे में, लोकतंत्र खतरे में, महागठबंधन राजनीति में जातियों पर जोर, महंगाई-भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी जैसे मुद्दों पर भाजपा को घेरने के बाद भी कांग्रेस को कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ. वो दौर बीत चुका है जब इफ्तार पार्टी में टोपी पहनने से जनता मुस्लिम हितैषी मान लेती थी. भाजपा ने रणनीति के तहत सीन को पलटा है और जो डर दिखाया गया था, उस नरैटिव को तोड़ते हुए मुस्लिमों को जोड़ा जा रहा है. सवाल यह है कि कांग्रेस हिंदुओं से कब जुड़ेगी?

कम से कम ऐसे हालात तो जरूर बनाने चाहिए कि फिर किसी कांग्रेसी को जनेऊ न दिखाना पड़े और न ही चुनाव के समय मंदिर की तरफ भागना पड़े. यह चीज आम होनी चाहिए तभी भाजपा को चुनौती दी जा सकती है.

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