मोहन सरकार ने बढ़ाई कलेक्टरों की शक्तियां, अपराधियों के खिलाफ कर सकेंगे ये कार्रवाई
मध्य प्रदेश में लगातार बिगड़ रही कानून व्यवस्था और अगले महीने से शुरू हो रही फेस्टिव सीजन को देखते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ा फैसला लिया है. असामाजिक तत्वों को लेकर सक्रिय होने का इनपुट मिलने पर कलेक्टरों को फ्री हैंड कर दिया है.
मध्य प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को कंट्रोल करने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने जिलों में कलेक्टर की शक्तियों को लेकर बड़ा आदेश जारी किया है. मध्य प्रदेश में अब कलेक्टर अपराधियों के खिलाफ NSA के तहत कार्रवाई कर सकेंगे. कानून व्यवस्था बिगाड़ने के लिए प्रदेश में असामाजिक तत्वों को लेकर सक्रिय का इनपुट मिला है. सरकार ने कलेक्टर की शक्तियों को बढ़ाने को लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक कानून व्यवस्था के लिए कलेक्टर फ्री हैंड रहेंगे.
दो दिन पहले शाजापुर के मक्सी में एक ही समुदाय के दो वर्गों की झपड़ में कई लोग घायल हो गए. इसके अलावा इस हिंसक घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई. इस घटना पर सीएम यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के मक्सी में आपसी विवाद से हुई दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में जनहानि अत्यंत दुखद है, दोषियों को किसी कीमत पर बक्शा नहीं जाएगा. कल देर रात घटना संज्ञान में आते ही जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से दूरभाष पर वार्ता कर क्षेत्र में शांति-व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए मामले की पूरी निष्पक्षता से जांचकर दोषियों की पहचान कर सख्त से सख्त कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है. प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए हम पूरी तरह कटिबद्ध हैं. कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ करने की छूट किसी को नहीं दी जाएगी.
इधर, शाजापुर के मक्सी में विवाद के दौरान मृत युवक के शव को सड़क पर रखकर मुस्लिम समाजजनों ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए. समाजजनों और परिजनों द्वारा प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की जा रही है. परिजनों का आरोप है प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई करता तो यह स्थिति नहीं बनती. प्रशासन ने राजनीतिक दबाव में उन्हें खुला संरक्षण दिया, जिसके चलते आरोपियों ने हम पर पथराव और गोलीबारी की. हमने परिवार के एक सदस्य को खो दिया और 8 लोग घायल हैं. पुलिस ने हम पर हमला करने के बाद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया. 24 सितंबर को हमने एसपी को ज्ञापन दिया था,उसी दिन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाती तो यह विवाद नहीं होता.
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