हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होता: सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

Oct 22, 2025 - 10:54
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हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होता: सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 (HSA) अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों पर लागू नहीं होता। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा जारी उस निर्देश को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया कि राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में बेटियों को संपत्ति का उत्तराधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार मिलेगा, न कि आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा निर्देश हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 2(2) के विपरीत है।

अधिनियम की धारा 2(2) के अनुसार, “इस अधिनियम में निहित कोई भी बात संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड (25) के अर्थ में किसी भी अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होगी, जब तक कि केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा अन्यथा निर्देश न दे।” यह अपील हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के 2015 के फैसले से उत्पन्न हुई थी, जिसमें एक दूसरी अपील पर निर्णय देते हुए यह टिप्पणी की गई थी कि राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में बेटियों का अधिकार प्रथागत कानूनों के बजाय हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम द्वारा शासित होना चाहिए ताकि "सामाजिक अन्याय और शोषण" को रोका जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के पैराग्राफ 63 में निहित यह व्यापक निर्देश उसके समक्ष प्रस्तुत मुद्दों या बहस किए गए प्रश्नों का हिस्सा नहीं था और इसलिए इसे जारी नहीं किया जा सकता था। तिरिथ कुमार एवं अन्य बनाम दादूराम एवं अन्य (2024) में अपने पहले के फैसले पर भरोसा करते हुए खंडपीठ ने दोहराया कि अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के दायरे से स्पष्ट रूप से बाहर रखा गया।

न्यायालय ने टिप्पणी की, "हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 2 के प्रावधानों के मद्देनजर, हाईकोर्ट द्वारा उपरोक्त कोई भी निर्देश जारी नहीं किया जा सकता। खासकर ऐसे मामले में जहाँ मुद्दा न तो सीधे तौर पर और न ही मूल रूप से किसी दीवानी कार्यवाही में पारित निर्णय और डिक्री से उत्पन्न अंतर-पक्ष अपील से संबंधित था। इसके अलावा हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देश न्यायालय द्वारा तैयार किए गए किसी भी मुद्दे या पक्षकारों द्वारा उठाई गई दलीलों से उत्पन्न नहीं थे।"

तिरिथ कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संसद से हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम को अनुसूचित जनजातियों तक विस्तारित करने का आग्रह किया। कमला नेती बनाम एलएओ (2023) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "अब समय आ गया कि केंद्र सरकार इस मामले पर विचार करे और यदि आवश्यक हो तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के उन प्रावधानों में संशोधन करे, जिनके द्वारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होता।"

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