उन 3 कानूनों को जानिए, जिन्हें 'गुलामी की मानसिकता' वाला बताकर बदलने जा रही मोदी सरकार

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष के हंगामे के बीच बुधवार को भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 को लोकसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. आइए, जानते हैं कि अपराध और न्याय प्रणाली से जुड़े इन तीनों नए विधेयक में क्या-क्या है?

Dec 20, 2023 - 13:59
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उन 3 कानूनों को जानिए, जिन्हें 'गुलामी की मानसिकता' वाला बताकर बदलने जा रही मोदी सरकार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने संसद के शीतकालीन सत्र के 13वें दिन बुधवार को लोकसभा में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 को पेश किया. भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक न्याय प्रणाली (CrPC) की जगह पहले पेश विधेयकों को सुधार कर वापस सदन में रखा गया था. तीनों विधेयकों को ध्वनिमत से पारित किए जाने से पहले इस पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि तीन आपराधिक कानूनों की जगह लाए गए संशोधित विधेयक गुलामी की मानसिकता को मिटाने और औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति दिलाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की प्रतिबद्धता के उदाहरण हैं. शाह ने कहा कि मोदी सरकार इन विधेयकों में पहली बार आतंकवाद की व्याख्या करने जा रही है. साथ ही राजद्रोह को देशद्रोह में बदला जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना तो कोई भी कर सकता है. ऐसा करने पर कोई जेल भी नहीं जाएगा, लेकिन कोई भी अब देश के विरोध में नहीं बोल सकता. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के भाषण में देश को औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति दिलाने की बात कही थी. उसी सिलसिले में गृह मंत्रालय ने आपराधिक कानूनों में बदलाव पर गंभीरता से विचार किया और नए विधेयक लेकर आई है.

आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव का दावा, नए विधेयक में क्या-क्या बदला

लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि उन्होंने तीनों विधेयकों को गंभीरता से पढ़ा और इसके बनने से पहले 158 परामर्श सत्रों (Brain Storming Sessions) में हिस्सा लिया. उन्होंने बताया कि CrPC में पहले 484 धाराएं थीं. नए विधेयक में 531 धाराएं होंगी. इसके कुल 177 धाराओं में बदलाव किए गए, 9 नई धाराएं जोड़ी गई, 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई और 44 नए प्रावधान जोड़े गए हैं. इस तरह आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव किया जा रहा है. शाह ने बताया कि पहले के कानूनों के तहत प्राथमिकता ब्रिटिश राज की सलामती थी. यह प्राथमिकता बदलकर मानव सुरक्षा और देश की सुरक्षा हो गई है. तीनों नए विधेयकों को व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सबके साथ समान व्यवहार के तीन मूलभूत सिद्धांतों के आधार पर बनाया गया है. आजादी के बाद पहली बार अपराध न्याय प्रणाली से जुड़े तीनों कानूनों का मानवीकरण हो रहा है. अमित शाह ने जोर देकर बताया कि नए विधेयकों में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा से जुड़े कानूनों को प्राथमिकता दी गई है. उसके बाद मानव अधिकारों से जुड़े कानूनों और देश की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को रखा गया है. अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि पीएम मोदी की सरकार पहली बार आतंकवाद की कानूनी व्याख्या करने जा रही है. आतंकवाद मानव अधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है. इसके अलावा राजद्रोह को देशद्रोह में बदला जा रहा है. साथ ही ‘मॉब लिंचिंग’ के घृणित अपराध में फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है.

संसद के मानसून सत्र में पेश विधेयक को लिया गया था वापस, संशोधित कर दोबारा सदन में लाया गया

ये तीनों नए विधेयक भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA), 1872 की जगह लाये गए हैं. अमित शाह ने तीनों आपराधिक कानून संशोधन विधेयक को लेकर कहा कि हम "दंड" के बदले "न्याय" पर फोकस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहली बार पीएम मोदी के नेतृत्व में हमारे संविधान की भावना के हिसाब से कानून बनने जा रहा है. मुझे गर्व है कि 150 साल बाद हम इन तीनों औपनिवेशिक कानूनों को बदलने का काम कर रहे हैं. पहली बार संसद के मानसून सत्र के दौरान भारतीय न्याय संहिता विधेयक (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक (BS) 2023 को सदन में पेश किया गया था. केंद्र सरकार ने इसे वापस ले लिया था. अमित शाह ने शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को तीनों विधेयकों का संशोधित संस्करण पेश किया था. शाह ने लोकसभा में कहा कि प्रस्तावित कानून पुलिस की जवाबदेही को मजबूत करने में भी मदद करेगा. गिरफ्तार किए गए हर शख्स के बारे में अब हर पुलिस स्टेशन में रिकॉर्ड दर्ज किया जाएगा. मोदी सरकार ने अब तस्करी कानूनों को भी जेंडर-न्यूट्रल बना दिया है. अब मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से नए भारत की कानून व्यवस्था अत्याधुनिक और ज्यादा असरदार होगी.

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