'केवल तभी कोर्ट फीस वापस की जाएगी, जब मामला ADR सिस्टम से सुलझाया जाएगा': सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट आउट-ऑफ-कोर्ट सेटलमेंट के लिए रिफंड का दावा खारिज किया

Feb 3, 2025 - 12:00
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'केवल तभी कोर्ट फीस वापस की जाएगी, जब मामला ADR सिस्टम से सुलझाया जाएगा': सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट आउट-ऑफ-कोर्ट सेटलमेंट के लिए रिफंड का दावा खारिज किया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो मुकदमेबाज अपने विवादों को निजी तौर पर कोर्ट के बाहर सुलझाते हैं, वे कोर्ट फीस वापस पाने के हकदार नहीं हैं।

कोर्ट ने कहा कि कोर्ट फीस वापस तभी की जा सकती है, जब मामला मध्यस्थता, सुलह, न्यायिक समाधान, जिसमें लोक अदालत या मध्यस्थता के माध्यम से निपटान शामिल है, उसके लिए भेजा जाता है। मामले का फैसला ऐसे समाधान के आधार पर होता है, अन्यथा नहीं।

जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ एसएलपी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता हाईकोर्ट द्वारा ट्रायल कोर्ट, प्रथम अपील और द्वितीय अपील में उनके द्वारा भुगतान की गई कोर्ट फीस वापस करने से इनकार करने से व्यथित था, क्योंकि मामले का निपटारा वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) सिस्टम की सहायता के बिना कोर्ट के बाहर सौहार्दपूर्ण तरीके से किया गया।

हाईकोर्ट के निर्णय की पुष्टि करते हुए न्यायालय ने कहा कि चूंकि द्वितीय अपील का निर्णय किसी ADR सिस्टम के संदर्भ में नहीं, बल्कि पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर किया गया, इसलिए कोर्ट फीस की वापसी से इनकार करने के विवादित निर्णय में कोई त्रुटि नहीं हुई।

न्यायालय ने कहा,

“इस मामले में जिस समझौते के आधार पर हाईकोर्ट ने द्वितीय अपील का निर्णय लिया, वह उपरोक्त किसी भी प्राधिकरण/मंच के संदर्भ में नहीं है, बल्कि यह न्यायालय के बाहर सौहार्दपूर्ण समझौता था। तदनुसार, हमारा मत है कि याचिकाकर्ता कोर्ट फीस की वापसी का हकदार नहीं है। हाईकोर्ट ने ऐसी प्रार्थना को अस्वीकार करके कोई त्रुटि या अवैधता नहीं की है।”

केस टाइटल: जगे राम बनाम वेद कौर एवं अन्य।

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