कॉकपिट के अंदर क्या-क्या होता है, कौन-सी चीज आती है किस काम?
हाल ही में एयर इंडिया एक्सप्रेस में एक यात्री ने विमान का कॉकपिट खोलने की कोशिश की. चलिए यह जान लेते हैं कि आखिर कॉकपिट में ऐसे कौन से राज छिपे होते हैं, जो सिर्फ पायलट जानते हैं.
हाल ही में खबर आई है कि एयर इंडिया एक्सप्रेस में बैठे एक यात्री ने फ्लाइट में पासकोड के जरिए कॉकपिट खोलने की कोशिश की. इससे विमान में हड़कंप मच गया. उस यात्री को उसके साथ मौजूद आठ लोगों समेत सीआईएसफ के हवाले कर दिया गया है. लेकिन यहां एक यह अहम सवाल है कि आखिर कॉकपिट के अंदर क्या-क्या मौजूद होता है और वे सारी चीजें किस काम में आती हैं. चलिए इसके बारे में थोड़ा विस्तार से समझ लेते हैं.
कॉकपिट में कौन से काम करते हैं पायलट
हवाई जहाज के कॉकपिट को अक्सर केवल पायलटों काम करने की जगह समझा जाता है, लेकिन हकीकत में यह आधुनिक तकनीक और सुरक्षा का सबसे अहम केंद्र होता है. यही वह जगह है, जहां से पायलट विमान को कंट्रोल करते हैं, दिशा तय करते हैं, मौसम की निगरानी करते हैं और एयर ट्रैफिक कंट्रोल से बातचीत करते हैं. कॉकपिट में मौजूद उपकरण और सिस्टम न केवल उड़ान को सुचारु रखते हैं बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करते हैं.
कैसे तय होती है स्पीड
कॉकपिट का मेन हिस्सा नियंत्रण योक या साइड-स्टिक और पैडल से जुड़ा होता है. या विमान की दिशा को कंट्रोल करता है और पायलट को हवा में पिच, रोल और यॉ जैसी हरकतों पर पूरा कंट्रोल देता है. वहीं, थ्रॉटल क्वाड्रेंट इंजन की पावर को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके जरिए विमान की स्पीड तय होती है, चाहे उड़ान भरनी हो, ऊंचाई बनाए रखनी हो या लैंडिंग करनी हो.
किस तरह करते हैं कम्युनिकेशन
कम्युनिकेशन के लिए कॉकपिट में रेडियो और खास कम्युनिकेशन पैनल लगाए जाते हैं. इनकी मदद से पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोल और आसमान में मौजूद अन्य विमानों से संपर्क बनाए रखते हैं. इसी के साथ, नेविगेशन सिस्टम, जिसमें GPS, VOR और ILS जैसे उपकरण शामिल हैं. ये पायलटों को यह जानने में मदद करते हैं कि विमान किस स्थान पर है और उसे किस दिशा में जाना है.
क्या बताता है कॉकपिट का डिस्प्ले
कॉकपिट में लगे डिस्प्ले भी बहुत जरूरी होते हैं. प्राथमिक उड़ान प्रदर्शन जिसे PFD और मल्टी-फंक्शन डिस्प्ले MFD कहते हैं, ये पायलट को वास्तविक समय में विमान की ऊंचाई, गति और स्थिति की जानकारी देते हैं. आधुनिक विमानों में यह सब डिजिटल स्क्रीन पर दिखाई देता है, जिससे विमान का संचालन और भी सही हो जाता है.
लंबी दूरी के लिए कॉकपिट पायलट की कैसे करता है मदद?
लंबी दूरी की उड़ानों के दौरान पायलटों की मदद करने के लिए ऑटोपायलट सिस्टम भी मौजूद होता है. यह सिस्टम विमान को स्थिर रखता है और जरूरत पड़ने पर गाइडेंस भी करता है. वहीं, इंजन गेज और डेटा डिस्प्ले इंजन की ताकत, टैम्प्रेचर और ईंधन की स्थिति पर नजर रखते हैं. इसके अलावा, मौसम रडार खराब मौसम की स्थिति को पहचानने और उससे बचने का रास्ता सुझाता है.
इमरजेंसी की स्थिति
सुरक्षा के लिहाज से कॉकपिट में ट्रांसपोंडर भी होता है, जो रडार पर विमान की पहचान सुनिश्चित करता है और अन्य विमानों के साथ टकराव की संभावना को भी कम करता है. इसके अलावा इमरजेंसी टूल्स जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर और अग्निशामक यंत्र किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में पायलटों के काम आते हैं. कॉकपिट को विमान का दिल और दिमाग कहा जा सकता है. यहां मौजूद हर उपकरण, हर बटन और हर डिस्प्ले विमान को सुरक्षित उड़ान भरने में मदद करता है.
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