चंद्रमा के अंधेरे वाले इलाके से 2 किलो सामान लेकर धरती पर वापस लौटा चीनी यान
चीन का ऐतिहासिक चंद्रमा मिशन पूरी तरह कामयाब रहा है. चीन अब चंद्रमा के अंधेरे वाले क्षेत्र से सैंपल कलेक्ट कर धरती पर लाने वाला पहला देश बन गया है.
चंद्रमा से ऐतिहासिक सैंपल जुटाकर चीनी यान धरती पर लौट आया है. मंगलवार को चीन का Chang’e-6 लूनर मॉड्यूल धरती पर उतरा. यह पहली बार है जब कोई देश चंद्रमा के अंधेरे वाले इलाके से नमूने लेकर आया है. चीन के सरकारी ब्रॉडकास्टर CCTV के अनुसार, Chang’e-6 उत्तरी मंगोलिया के आंतरिक इलाके में 'सफलतापूर्वक उतरा'. CCTV ने यान के उतरने का लाइव टेलीकास्ट किया.
यान के उतरने ही एक सर्च टीम मौके पर पहुंची. मिनटों के भीतर मॉड्यूल को लोकेट कर लिया गया. CCTV के विजुअल्स में चीनी झंडे के पास पड़ा मॉड्यूल नजर आ रहा है. एक वर्कर मॉड्यूल को चेक करता है. चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CNSA) के प्रमुख झांग केजियान ने कहा, 'चांग'ई-6 मिशन पूरी तरह सफल रहा है.'
Touchdown! Chang'e-6 carrying lunar samples from the Moon's far side, for the first time, safely lands in Inner Mongolia https://t.co/I6ToMAjEb4 pic.twitter.com/jzz2tLrXo0 — China 'N Asia Spaceflight ???????? ????️ (@CNSpaceflight) June 25, 2024
चंद्रमा से क्या-क्या लेकर लौटा चीन?
अभी तक इस बारे में चीनी स्पेस एजेंसी ने कुछ साफ नहीं किया गया है. माना जा रहा है कि चांग'ई-6 अपने साथ चंद्रमा से 2 किलो धूल और चट्टानें लेकर लौटा है. ये सैंपल चंद्रमा के दूसरे हिस्से के हैं जो हमेशा अंधेरे में डूबा रहता है. तमाम नमूनों की जांच पहले चीनी रिसर्चर्स करेंगे, उसके बाद इन्हें अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों को भी रिसर्च के लिए दिया जाएगा.
चीन में अंतरिक्ष की धमक
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव हमेशा अंधेरे में रहता है. वहां से सैंपल कलेक्ट करके लाना बड़ी उपलब्धि है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मिशन का चीन का 'शाश्वत स्वप्न' बताया था. जिनपिंग का लक्ष्य चीन को अंतरिक्ष महाशक्ति बनाने का है. भारत, अमेरिका समेत कई देश लगातार चंद्रमा के मिशन प्लान कर रहे हैं और चीन पिछड़ना नहीं चाहता. मंगलवार को मिशन की सफलता पर जिनपिंग ने कहा, 'यह अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक मजबूत देश के निर्माण में यह एक और ऐतिहासिक उपलब्धि है.'
माना जाता है कि चंद्रमा के इस इलाके में बर्फ मौजूद हैं. अमेरिका भी यहां पर एक बेस बनाने की तैयारी कर रहा है. चीन 2030 तक एस्ट्रोनॉट्स को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी में है. वह दक्षिणी ध्रुव पर एक रिसर्च बेस भी बनाना चाहता है.
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