मिशन जम्मू-कश्मीर' के लिए जरूरी हैं ये 16 सीटें, किसकी कुर्सी सुरक्षित करेंगी 'आरक्षित' सीटें?
जम्मू कश्मीर में सत्ता की चाबी रिजर्व सीटों के वोटर्स के पास मानी जा रही है. खासकर पहाड़ी और गुज्जर समुदाय के वोटर्स पर क्रमशः भाजपा और इंडिया गठबंधन के दलों की नजर है. ये दोनों समुदाय एक-दूसरे के खिलाफ वोट करते रहे हैं.
सूबे में 16 सीटें रिजर्व हैं
इन पर सभी दलों की नजर
नई दिल्ली: Jammu Kashmir Vidhan Sabha Chunav: जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है. जम्मू की 43 और कश्मीर की 47 सीटों पर होने वाले चुनाव में SC-ST के लिए आरक्षित सीटों पर सबका फोकस है. ज्यादातर सीटों पर पहाड़ी और गुज्जर-बकरवाल वोटर्स की तादाद अधिक है. भाजपा और कांग्रेस इन्हें अपने-अपने तरीके से साधने में जुटे हुए हैं.
कौनसी 16 सीटें आरक्षित
अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित 7 सीटें: अखनूर, रामगढ़, बिश्नाह, मढ़, सुचेतगढ़, कठुआ और रामनगर.
अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित 9 सीटें: गुलाबगढ़, कोकरनाग, मेंढर, कंगन, सुरनकोट, राजौरी, थन्नामंडी, बुद्धल और गुरेज.
सूबे में पहली बार ST के लिए सीटें रिजर्व हुई हैं. SC के लिए रिजर्व सभी 7 सीटें जम्मू क्षेत्र में आती हैं. जबकि ST के लिए रिजर्व 9 में से 3 सीटें कश्मीर में हैं, बाकी 6 जम्मू में हैं.
इन सीटों पर लोकसभा चुनाव 2024 में क्या परिणाम रहा?
नेशनल कॉन्फ्रेंस: 7 सीटें जीती
भाजपा: 6 सीटें जीती
कांग्रेस: 2 सीटें जीती
अपनी पार्टी: 1 सीट जीती
भाजपा को पहाड़ी वोटर्स से उम्मीद
जो 13 सीटें SC के लिए रिजर्व हैं, उनमें से अधिकतर सीटों पर पहाड़ी और गुज्जर मतदाता हार-जीत तय करेंगे. ये दोनों समुदाय एक दूसरे के खिलाफ वोट करते हैं. इन इलाकों में नेगेटिव वोटिंग अधिक होती है. इन समुदायों को कोई भी पार्टी एक जाजम पर नहीं ला सकी है. दोनों के बीच संघर्ष का पुराना इतिहास रहा है. धारा-370 के हटने के बाद भाजपा ने पहाड़ी समुदाय को ST का दर्जा दे दिया, इससे गुज्जर खफा हैं. ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि पहाड़ी समुदाय उन्हें वोट करेगा.
INDIA गठबंधन की नजर गुज्जर वोटों पर
जबकि दूसरी ओर, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (INDIA गठबंधन) का फोकस गुज्जर वोटों पर है. इसके पीछे दो कारण हैं. पहला, ये भाजपा से नाराज हैं, क्योंकि पहाड़ी वोटर्स को आरक्षण मिल गया. दूसरा, ये पहले से नेशनल कॉन्फ्रेंस के वोटर रहे हैं. इसलिए इन्हें गठबंधन के पक्ष में वोट करने में आसानी होगी.
गुज्जर भाजपा से क्यों नाराज?
2011 की जनगणना के मुताबिक गुज्जर-बकरवाल जम्मू और कश्मीर की कुल आबादी का 9% हैं. इन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10% आरक्षण मिलता है. ये इस बात से नाराज हैं कि पहाड़ी समुदाय को ST में जोड़ा गया है. इन्हें लगता है कि अब इनका आरक्षण खतरे में पड़ सकता है. हालांकि, सरकार ने फिलहाल पहाड़ी समुदाय को अलग से आरक्षण दिया है, न की गुज्जर समुदाय के कोटा में कटौती की है.
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