1966 में सरकार ने RSS के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के जाने पर क्यों लगाई थी रोक? क्या है 58 साल पुराना आदेश

अब सरकारी कर्मचारी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों में शामिल हो सकेंगे. सरकार ने 58 साल पुराना फैसला पलट दिया है, जिसको लेकर कांग्रेस हमलावर हो गई है. तो चलिए आपको सबकुछ विस्तार से बताते हैं कि 58 साल पहले क्या हुआ था और क्यों यह रोक लगाई गई थी.

Jul 22, 2024 - 14:10
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1966 में सरकार ने RSS के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के जाने पर क्यों लगाई थी रोक? क्या है 58 साल पुराना आदेश

सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पर लगी रोक को केंद्र सरकार ने हटा दिया है. इस रोक को हटाए जाने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने दावा किया है कि 58 साल पहले केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर रोक लगाई थी. पवन खेड़ा का कहना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने उस आदेश को वापस ले लिया है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि 58 साल पहले क्या हुआ था और क्यों सरकार ने आरएसएस के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर रोक लगाई थी. चलिए आपको सबकुछ विस्तार से बताते हैं...

क्या है 58 साल पुराना आदेश, सरकार ने क्यों लगाया था बैन?

दरअसल, साल 1965 में देश में गोहत्या पर रोक लगाने और गोरक्षा को लेकर सख्त कानून बनाने की मांग हो रही थी. इसको लेकर देशभर में विशाल आंदोलन शुरू हो गया और काफी लंबे समय तक चलता रहा. साल 1966 में संत गोहत्या पर रोक और गोरक्षा को लेकर सख्त कानून की मांग को लेकर दिल्ली कूच किया. 7 नवंबर 1966 को साधु-संत इस मांग को लकेर संसद के बाहर पहुंच गए और धरने के साथ आमरण अनशन का ऐलान कर दिया.

दावा किया जाता है कि इस दौरान पुलिस ने फायरिंग की और साधु-संतों और गोरक्षकों के अलावा कई कार्यकर्ता मारे भी गए थे. हालांकि, मारे गए लोगों की संख्या को लेकर स्थिति साफ नहीं है और कई जगहों संख्या अलग-अलग बताई गई है. इस दौरान दिल्ली में कर्फ्यू लगाने की नौबत आ गई थी और कई संतों को जेल में बंद कर दिया गया था. इस प्रदर्शन के बाद 30 नवंबर 1966 को केंद्र सरकार ने आरएसएस के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 30 नवंबर 1966 के मूल आदेश का स्क्रीनशाट शेयर किया, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों से शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया गया था.

1970 और 1980 में भी जारी हुए थे आदेश

1966 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर रोक लगाने वाले रोक के बाद साल 1970 में भी रोक संबंधी आदेश जारी हुए थे. इसके बाद जब साल 1977 में जनता पारी की सरकार बनी और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने, तब आरएसएस के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर रोक लगाने वाले आदेश को निरस्त कर दिया गया. लेकिन, इसके बाद जब साल 1980 में इंदिरा गांधी फिर सत्ता में लौटीं तब उन्होंने पुराने आदेश को फिर से लागू कर दिया. इसके बाद से सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक थी.

9 जुलाई को केंद्र ने आदेश जारी कर हटाई रोक

केंद्र सरकार ने अब इस प्रतिबंध को हटा दिया है और 9 जुलाई 2024 को सरकार की तरफ से एक आदेश भी जारी किया गया था. आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के हिस्सा लेने के संबंध में ये आदेश जारी किया जा रहा है. इसमें आगे लिखा गया है, 'समीक्षा करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 को जारी हुए सरकारी आदेशों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम हटा दिया जाए.'

आरएसएस पर तीन बार लग चुका है बैन

जयराम रमेश ने भी आरएसएस पर पूर्व की सरकारों की कार्रवाई का भी जिक्र किया है. बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन की गई थी और 99 साल के सफर में आरएसएस ने कई उपलब्धियां हासिल की है. लेकिन, इस दौरान आरएसएस पर तीन पर प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है. 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरकार ने आरएसएस पर पहली बार प्रतिबंध लगाया था. हालांकि, 11 जुलाई 1949 को शंघ को अपना संविधान बनाने और उसे प्रकाशित करने की शर्तों के साथ प्रतिबंध हटा दिया गया.

दूसरी बार 1975 में आपातकाल के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को प्रतिबंध का सामना करना पड़ा. इस दौरान बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों को जेल में भेज दिया गया था और 2 साल तक प्रतिबंध रहा. साल 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार आई तब आपातकाल हटा दिया गया. इसके बाद तीसरी बार साल 1992 में संघ को प्रतिबंध झेलना पड़ा और बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 6 महीनों तक आरएसएस पर बैन लगा रहा.

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