AI बदल देगा भारत का प्रचार तंत्र, लोकसभा चुनाव में वोटर को कैसे करेगा प्रभावित?

भारत में राजनीतिक दल AI के इस्तेमाल से चुनाव प्रचार करने वाले हैं. इसके कारण डीपफेक वीडियो और वॉइस क्लोनिंग ऑडियो का खतरा बढ़ रहा है. यह वोटर को आसानी से गुमराह करने की ताकत रखता है.

Mar 20, 2024 - 11:09
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AI बदल देगा भारत का प्रचार तंत्र, लोकसभा चुनाव में वोटर को कैसे करेगा प्रभावित?

AI से बनाए जा सकते हैं डीपफेक वीडियो

वॉइस क्लोनिंग से भी वोटर्स हो सकते हैं भ्रमित

 इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जा रहा है. आधुनिक दौर में प्रचार के आधुनिक तरीके अपनाएं जा रहे हैं. खासकर सत्ताधारी दल BJP एआई का खूब उपयोग कर रही है. हाल ही में पीएम मोदी का एक वीडियो भी वायरल हो रहा था. इसमें वे तमिल भाषा बोलते हुए दिख रहे हैं. दरअसल, उनकी हिंदी भाषा को AI टूल ने तमिल में ट्रांसलेट कर वहां मौजूद पब्लिक को सुनाया. कांग्रेस भी AI के जरिये अपने नेताओं के भाषण को ट्रांसलेट करेगी. 

राजनीतिक दलों को होगा खूब फायदा

चुनाव प्रचार में AI काफी असरदार हो सकता है. भाजपा की सोशल मीडिया पर पकड़ पहले से ही मजबूत है. अब AI की ओर भी पार्टी बढ़ रही है. इस तकनीक के जरिये वोटों की गिनती को भी रियल-टाइम पर देखा जा सकता है. AI लैंग्वेज बेरियर को खत्म करने में मददगार साबित हो सकता है. यह तुरंत भाषा को ट्रांसलेट कर देता है. AI के जरिये दल आसानी से बड़े स्तर पर इन्फोर्मेशन को ट्रांसमिट कर सकते हैं. लोगों तक सूचना त्वरित गति से पहुंच सकती है.  

डीपफेक का वीडियो बनाए जा सकते हैं

AI के कई नुकसान भी हैं. यह बहुत तेजी से फेक न्यूज फैला सकता है. इसके अलावा, इसकी मदद से डीप फेक वीडियोज भी बनाए जा सकते हैं. अमेरिका में ऐसा मामला सामने आ चुका है. 31 मार्च, 2023 को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पर ग्रैंड ज्यूरी ने आरोप तय किए. तभी राष्ट्रपति जो बाइडन और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का व्हाइट हाउस में जश्न मनाते हुए एक वीडियो वायरल हुआ. लेकिन यह फेक था. पीएम मोदी भी स्वीकार कर चुके हैं कि डीपफेक एक चुनौती है. उन्होंने बताया कि मैंने एक ऐसा वीडियो देखा जिसमें मैं गरबा खेल रहा था. यह वीडियो फेक था. इस तरह के कई उदाहरण इंटरनेट पर हैं, जो एक लोकतांत्रिक समाज में अराजकता फैला सकते हैं. 

नकली भाषण और स्लोगन लिख सकता है AI

नवंबर 2022 में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस चैट-जीपीटी (AI Chat GPT) लॉन्च हुआ था. यह कहानी, कविताएं और रिसर्च पेपर तक लिख सकता है. ऐसे में वोटर्स के पास पहुंचने वाला कंटेंट असली है या नकली, इसका पता लगाना मुश्किल होगा. Chat GPT भाषण से लेकर स्लोगन तक लिख सकता है. 

AI कर सकता है वॉइस क्लोनिंग

AI के जरिये वॉइस क्लोनिंग भी हो सकती है. हाल ही में कई ऐसे वीडियो वायरल हो रहे थे जिनमें PM मोदी बॉलीवुड का गाना गाते दिख रहे हैं. यह डीपफेक वीडियो थे, जिनमें वॉइस क्लोनिंग की गई थी. पीएम की फेक तस्वीर और फेक आवाज बनाई गई थी. चुनाव प्रचार के दौरान भी वॉइस क्लोनिंग का इस्तेमाल कर फेक ऑडियो मैसेज वायरल किए जाने का खतरा है. 

रिसर्च- AI का प्रोपगेंडा भी ओरिजिनल जितना ही खतरनाक

अमेरिका में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी ने हाल ही में एक रिसर्च की. इसमें सामने आया है कि AI का कृत्रिम प्रोपगेंडा भी उतना ही प्रभावी है, जितना ओरिजिनल प्रोपगेंडा है. शोधकर्ताओं ने 8,000 से अधिक अमेरिकी वयस्कों पर यह शोध किया था. 

OpenAI ने रोक पाएगा फेक कंटेंट?

US बेस्ड AI रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन OpenAI ने आश्वस्त किया था कि भारत के लोकसभा चुनाव के लिए AI का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. OpenAI ने दावा किया था कि वे ऐसे टूल लेकर आएंगे जो डीपफेक वीडियोज, फोटोज या फेक न्यूज रोक सकेंगे. 

मेटा ने कही कड़े कदम उठाने की बात

एआई जनरेटेड कंटेंट के दुरुपयोग को रोकने के लिए मेटा ने भी कड़े कदम उठाने की बात कही है. मेटा ने कहा है कि फेसबुक और इंस्टाग्राम पर फेक न्यूज का प्रसार करने पर सख्‍त कार्रवाई होगी. यदि कोई इंस्टा या फेसबुक के जरिये वोटिंग को प्रभावित करते हैं या हिंसा भड़काते हैं, तो उन्हें साइट से हटा दिया जाएगा

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