MP में कांग्रेस की टेंशन बढ़ा रहे तीसरे दल, क्या हाथ से छिटक रहा परंपरागत वोटबैंक ?

मोहन सरकार में मंत्री रामनिवास रावत मंत्री पद छोड़ सकते हैं, इसके पीछे कई वजहें मानी जा रही हैं. चौहान का विभाग रामनिवास रावत को मिला है.

Jul 22, 2024 - 14:33
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MP में कांग्रेस की टेंशन बढ़ा रहे तीसरे दल, क्या हाथ से छिटक रहा परंपरागत वोटबैंक ?

मध्य प्रदेश में यूं तो तीसरे दलों का प्रभाव अब तक ज्यादा नहीं दिखा है. लेकिन कुछ क्षेत्रीय पार्टियां और स्थानीय दल प्रदेश की सियासत में एक्टिव रहते हैं. खास बात यह है कि यह तीसरे दल कांग्रेस की परेशानियां बढ़ाते नजर आ रहे हैं. विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के बाद उपचुनावों में भी तीसरी पार्टियों ने एक तरह से कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाई है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि आंकड़े इस बात की गवाही खुद दे रहे हैं. हाल ही में हुए अमरवाड़ा उपचुनाव में अगर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी खड़ी नहीं होती तो शायद चुनाव के नतीजे कुछ और होते. 

सांसद की पोस्ट से शुरू हुई सियासत 

दरअसल, पूरी सियासत बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट से भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत के सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुई हैं. उन्होंने लिखा कि मजबूत टिकाऊ विकल्प के साथ हम आपते साथ खड़े हैं और बहुत जल्द मध्यप्रदेश में भी कमल कांग्रेस का रगड़ा निकालेंगे. जोहार उलगुलान.' ऐसे में उनकी यह पोस्ट तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. खास बात यह है कि मध्य प्रदेश में पहले से ही बाप पार्टी एंट्री कर चुकी हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में 'बाप' पार्टी ने रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट पर जीत हासिल की है. कमलेश्वर डोडियार बाप के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे. 

भील प्रदेश बनाने की भी मांग 

इतना ही नहीं भारत आदिवासी पार्टी (BAP) संस्थापक राजकुमार रोत ने भील प्रदेश बनाने की मांग की है. उन्होंने राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ जिलों को मिलाकर आदिवासी बाहुल्य इलाके की मांग की है. जिससे प्रदेश की सियासत फिलहाल गर्माती नजर आ रही है. 

कांग्रेस की बढ़ सकती है टेंशन

दरअसल, तीसरे दलों की मध्य प्रदेश में बढ़ती ताकत कांग्रेस की टेंशन ज्यादा बढ़ा सकती है. इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कांग्रेस की पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक में तीसरे दलों को लेकर चर्चा हुई है. जिसमें इस बात पर मंथन हुआ है कि कांग्रेस के परंपरागत वोटर वाले राजनीतिक दलों के असर को कैसे कम किया जाए इस पर अब काम शुरू होगा. यह हलचल अमरवाड़ा उपचुनाव के परिणामों के बाद और बढ़ी है. क्योंकि अमरवाड़ा में कांग्रेस की हार का बड़ा कारण गोंडवाना गणतंत्र पार्टी रही है. अरमवाड़ा उपचुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के देवरान भलावी को करीब 29 हजार वोट मिले थे. 

अमरवाड़ा उपचुनाव में बीजेपी के कमलेश शाह को 83 हजार 105 वोट तो कांग्रेस के धीरन शाह इनवाती को 80 हजार 078 वोट मिले थे. वहीं गोंगपा के देवरान भलावी करीब 29 हजार वोट हासिल करने में सफल रहे थे. जहां बीजेपी के कमलेश शाह 3027 वोटों से चुनाव जीते थे. अगर गोंगपा चुनाव मैदान में नहीं होती तो यह परिणाम बदल भी सकते थे. 

बसपा-सपा भी करती रही है सेंधमारी 

कांग्रेस की टेंशन इसलिए इसलिए भी ज्यादा बढ़ी है कि क्योंकि स्थानीय दलों के अलावा बसपा और सपा भी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी करते रहे हैं. विधानसभा चुनाव में बसपा और सपा ने कई सीटों पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया था. इसी तरह से लोकसभा चुनाव में भी मुरैना और सतना सीट पर कांग्रेस की हार का बड़ा बसपा रही थी, क्योंकि इन दोनों सीटों पर जितने वोट से कांग्रेस को हार मिली थी, उससे ज्यादा वोट बसपा को मिले थे. जबकि भिंड लोकसभा सीट पर भी आखिरी वक्त में बसपा ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया था. 

ऐसे में बाप सांसद राजकुमार रोत की पोस्ट के बाद कांग्रेस ने तीसरे दलों से भविष्य में संपर्क बढ़ाने की रणनीति पर काम करने की बात कही है. कांग्रेस पॉलिटिकल अफेयर कमेटी के मेंबर और विधायक फूल सिंह बरैया ने कहा कि हमारी चर्चा हुई है समय रहते सभी को एक साथ लाया जाएगा हम सब एक ही विचार धारा के लोग हैं. माना जा रहा है कि बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से इस रणनीति पर काम शुरू किया जाएगा. 

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