S. 68 Evidence Act | कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच विवाद न होने पर भी वसीयत साबित करने के लिए सत्यापनकर्ता गवाह से पूछताछ अनिवार्य: सुप्रीम कोर्ट

Sep 6, 2025 - 10:53
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S. 68 Evidence Act | कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच विवाद न होने पर भी वसीयत साबित करने के लिए सत्यापनकर्ता गवाह से पूछताछ अनिवार्य: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 68 के तहत वसीयत के कम से कम सत्यापनकर्ता गवाह से पूछताछ अनिवार्य है। इस आवश्यकता को केवल इसलिए नहीं टाला जा सकता, क्योंकि विवाद में कानूनी उत्तराधिकारियों का कोई विवाद नहीं है। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई की जिसमें वादी-प्रतिवादी ने दावा किया कि उसने 1996 में अपने पिता से विक्रय समझौते, सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी, शपथ पत्र, रसीद और रजिस्टर्ड वसीयत के माध्यम से संपत्ति खरीदी थी। उसने आरोप लगाया कि उसका भाई अपीलकर्ता-रमेश चंद (प्रतिवादी) शुरू में लाइसेंसधारी था, जिसने बाद में आधी संपत्ति अवैध रूप से तीसरे पक्ष (प्रतिवादी नंबर 2) को बेच दी।

प्रतिवादी-अपीलकर्ता ने दावा किया कि संपत्ति उसे 1973 में मौखिक रूप से उपहार में दी गई। तब से वह उस पर काबिज है। उन्होंने वादी के दस्तावेज़ों को अमान्य बताते हुए स्वामित्व की घोषणा की मांग की। अन्य दस्तावेज़ों के अलावा, अपीलकर्ता ने उस वसीयत को भी चुनौती दी, जिसके माध्यम से प्रतिवादी संपत्ति पर अपना दावा पेश कर रहा था। अपीलकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी, जिसमें कहा गया कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 68 के तहत कम से कम सत्यापनकर्ता गवाह से पूछताछ न करना प्रतिवादी के मामले के लिए घातक नहीं है। चूंकि यह मामला कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच विवाद से संबंधित नहीं था, इसलिए अपीलकर्ता वसीयतकर्ता नहीं था। मौखिक हस्तांतरण के माध्यम से स्वतंत्र स्वामित्व का दावा कर रहा था, इसलिए वसीयत के प्रमाण के सख्त नियमों में ढील दी जा सकती थी।

हाईकोर्ट के इस दृष्टिकोण को खारिज करते हुए जस्टिस अरविंद कुमार द्वारा लिखित निर्णय में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि धारा 68 विरोधी पक्ष की पहचान या उनके दावे की प्रकृति के आधार पर कोई अपवाद नहीं बनाती है। इसमें यह भी कहा गया कि धारा 68 का अधिदेश हर उस वसीयत पर लागू होता है, जिसे अदालत में साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल करने की मांग की जाती है, चाहे उसका विरोध कोई भी कर रहा हो। अदालत ने कहा, "यहां तक कि हाईकोर्ट ने भी वसीयत की वैधता का मूल्यांकन करते समय एक अलग ही रुख अपनाया है और ग़लती से यह मान लिया कि सत्यापनकर्ता गवाहों से पूछताछ की आवश्यकता केवल कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच विवादों के मामलों में ही लागू होती है। यह टिप्पणी क़ानून के बिल्कुल विपरीत है, क्योंकि साक्ष्य अधिनियम की धारा 68 के अनुसार वसीयत के कम से कम एक सत्यापनकर्ता गवाह से पूछताछ करना अनिवार्य है।

" Cause Title: RAMESH CHAND (D) THR. LRS. VERSUS SURESH CHAND AND ANR.

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