अदालतें इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं', वक्फ पर SC में सुनवाई, 10 प्वाइंट्स में जानें कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इन याचिकाओं की सुनवाई में कोर्ट ने क्या कहा, जानें 10प्वाइंट्स में...
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने मंगलवार को कहा कि संसद द्वारा पारित कानून संवैधानिक माने जाते हैं और जब तक कोई स्पष्ट और गंभीर समस्या न हो, अदालतें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। उन्होंने यह टिप्पणी वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहीं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार, 20 मई को सुनवाई कर रही थी, जिसे पिछले महीने कानून बना दिया गया था।
10 प्वाइंट्स में जानें कोर्ट ने क्या क्या कहा?
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वह अंतरिम आदेश पारित करने के लिए वक्फ (संशोधन) अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई को तीन मुद्दों तक सीमित रखे, जिनमें 'कोर्ट, यूजर और डीड' द्वारा घोषित वक्फ संपत्तियों को डि-नोटिफाई करने का बोर्डों का अधिकार भी शामिल है। वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने केंद्र की दलील का विरोध करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण कानून पर टुकड़ों में सुनवाई नहीं हो सकती।
कोर्ट में कपिल सिब्बल ने दोहराया कि कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को जब्त करना है, मुख्य न्यायाधीश गवई ने जवाब दिया, "संसद द्वारा पारित कानून में संवैधानिकता की धारणा है। जब तक कोई स्पष्ट मामला नहीं बनता, तब तक अदालतें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं, खासकर वर्तमान परिदृश्य में, हमें इससे अधिक कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है।"
सीजेआई बीआर गवई ने कपिल सिब्बल की दलील पर कहा- मैं दरगाह भी गया, चर्च भी गया... हर किसी के पास यह (चढ़ावे का पैसा) है। इसपर सिब्बल ने कहा- दरगाह दूसरी बात है, मैं मस्जिदों की बात कर रहा, 2025 का कानून पुराने कानून से बिल्कुल अलग है। मंदिरों में चढ़ावा आता है लेकिन मस्जिदों में नहीं। यही वक्फ बाय यूजर है,बाबरी मस्जिद भी ऐसी ही थी।
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