कैसे MP के CM बने थे बाबूलाल गौर, बुलडोजर मंत्री से लेकर गंगाजल तक ऐसा रहा सफर, कभी नहीं हारे चुनाव

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की आज पुण्यतिथि है. उत्तर प्रदेश से आकर मध्य प्रदेश में रमने वाले गौर का यहां तक का सफर बिल्कुल आसान नहीं था. जानिए उन बाबूलाल गौर की कहानी जिन्होंने मजदूरी से CM तक का सफर तय किया.

Aug 21, 2024 - 11:55
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कैसे MP के CM बने थे बाबूलाल गौर, बुलडोजर मंत्री से लेकर गंगाजल तक ऐसा रहा सफर, कभी नहीं हारे चुनाव

सहज, सरल, जमीन से जुड़े, मध्य प्रदेश में मजदूरों और और कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए जीवन भर काम करने वाले और राज्य के पूर्व CM बाबूलाल गौर की आज पुण्यतिथि है. आज ही के दिन साल 2019 में बाबूलाल गौर इस दुनिया को अलविदा कह अंतिम सफर पर चले गए थे. शराब की दुकान से लेकर कपड़ा मिल में मजदूरी और फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक का उनका सफर कई मुश्किलों से होकर गुजरा. लेकिन एक बार राजनीति में एंट्री हुई तो फिर कभी हार का मु्ंह नहीं देखा. पढ़िए UP से आकर MP में कैसे रम गए बाबूलाल और कैसे सूबे के मुखिया की गद्दी तक पहुंचने की उनकी कहानी- 

बाबूलाल गौर

बाबूलाल गौर का जन्म 2 जून 1930 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के नौगीर गांव में हुआ था. उनके पिता रामप्रसाद यादव पहलवान थे. रोजी-रोटी कमाने के लिए वे अपना गांव छोड़ एमपी की राजधानी भोपाल आ गए. यहां आए तो शराब कंपनी में नौकरी मिली और जीवन चल पड़ा. लेकिन उनकी किस्मत में तो नेता बनना था. ऐसे में आखिर कब तक शराब कंपनी में रहते. 16 साल की उम्र में जब वे RSS से जुड़े तो शराब कंपनी छोड़ कपड़ा मिल में मजदूरी करने लगे. इस दौरान ने ट्रेड यूनियन में सक्रिय रहे और कई आंदोलन किए. 

कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर

बाबूलाल गौर किशोर अवस्था से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे. 1946 में महज 16 साल की उम्र से उन्होंने RSS की शाखाओं में जाना शुरू कर दिया. आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में भी काटे. वे जनसंघ के संपर्क में आए और 1974 में पहली बार भोपाल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए. इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1977 में भोपाल की गोविंदपुरा विधानसभा सीट से जीते और 2013 तक लगातार हर चुनाव में विजयी रहे. 

2004 में बने MP के मुख्यमंत्री

साल 2004 में बाबूलाल गौर के जीवन में एक बड़ा बदलाव हुआ. साल 2003 में जब उमा भारती MP की मुख्यमंत्री बनीं उसके एक साल बाद ही कर्नाटक की हुबली की अदालत की ओर से 10 साल पुराने मामले में एक उनके खिलाफ वारंट जारी हो गया. ऐसे में उमा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. उस समय उमा ने बाबूलाल गौर को CM बनवाया और उनके हाथों में गंगाजल रख कसम दिलाई कि जब भी वे यानी उमा कहेंगी तो गौर को CM की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी. बाबूलाल गौर ने 23 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. वे 29 नवंबर 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 

योगी से पहले बाबूलाल कहलाने लगे थे 'बुलडोजर मंत्री'

किस्सा तब का है जब 1990 से 1992 तर बाबूलाल गौर MP के स्थानीय शासन, विधि एवं विधायी कार्य, संसदीय कार्य, जनसम्पर्क, नगरीय कल्याण, शहरी आवास तथा पुनर्वास एवं 'भोपाल गैस त्रासदी' राहत मंत्री रहे. अपने इस कार्यकाल में गौर ने अतिक्रमण हटाने को लेकर सख्त रवैया अपनाया, जिस कारण हर उनकी चर्चाएं होने लगी. भोपाल में अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए गौर ने सिर्फ बुलडोजर खड़ा कर इंजन चालू करा दिया था, जिसे देखने के बाद अतिक्रमण अपने आप हटने लगा था. अतिक्रमणकारियों के खिलाफ उनके ऐसे सख्त रवैये के कारण वे 'बुलडोजर मंत्री' कहलाने लगे थे. 

नाम के पीछे भी दिलचस्प किस्सा

बाबूलाल गौर का असली नाम बाबूराम यादव था. उनकी क्लास में दो बाबूराम यादव उन्हें के कारण टीचर और बच्चों दोनों को कंफ्यूजन होता था. ऐसे में टीचर ने कहा कि जो उनकी बात 'गौर' से सुनेगा और सवाल का सही जवाब देगा उसका नाम बाबूराम गौर रख दिया जाएगा. ऐसे में टीचर के सवाल का सही जवाब देने पर बाबूराम यादव से वे बाबूराम गौर हो गए. जब वे भोपाल आए तो लोगों ने उन्हें बाबूलाल कहना शुरू कर दिया. इस तरह बाबूराम यादव ने अपना नाम बाबूलाल गौर रख लिया. 

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