गैरकानूनी और मनमाना तरीका अपना रहे हैं राज्यपाल... तमिलनाडु गवर्नर को 'सुप्रीम फटकार'

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए तमिलनाडु के गवर्नर को बड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने 10 बिलों को राष्ट्रपति के साथ विचार के लिए रखे जाने पर कहा कि यह मनमाना और गैर कानूनी तरीका है.

Apr 8, 2025 - 14:14
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गैरकानूनी और मनमाना तरीका अपना रहे हैं राज्यपाल... तमिलनाडु गवर्नर को 'सुप्रीम फटकार'

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ DMK सरकार और राज्यपाल के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध रहा है. इसी कड़ी में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि से नाखुशी जताते हुए कहा कि उनके जरिए 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि संविधान क अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास कोई विवेकाधिकार नहीं होता और उन्हें कैबिनेट की मदद और सलाह पर लाजमी तौर पर कार्रवाई करनी होती है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

बेंच ने कहा कि राज्यपाल सहमति को रोक नहीं सकते और ‘पूर्ण वीटो’ या ‘आंशिक वीटो’ (पॉकेट वीटो) की अवधारणा नहीं अपना सकते. उन्होंने कहा कि राज्यपाल एक ही रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होते हैं- बिलों को मंजूरी देना, मंजूरी से रोकना और राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखना. बेंच ने कहा कि वह बिल को दूसरी बार राज्यपाल के सामने पेश किए जाने के बाद उसे राष्ट्रपति के साथ विचार के लिए सुरक्षित रखे जाने के पक्ष में नहीं है. बेंच के मुताबिक राज्यपाल को दूसरे दौर में उनके सामने पेश किए गए बिलों को मंजूरी देनी चाहिए, अपवाद सिर्फ तब रहेगा जब दूसरे चरण में भेजा गया बिल पहले से अलग है

MK स्टालिन ने किया पलटवार

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि विधेयकों को अब राज्यपाल की मंजूरी प्राप्त माना जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा के जरिए पास जाने के बाद राज्यपाल के पास भेजे गए कई विधेयकों को उन्होंने लौटा दिया था. उन्हें फिर से पास किया गया और फिर से उनके पास भेजा गया. स्टालिन ने कहा,'संविधान के मुताबिक राज्यपाल को दूसरी बार पास बिल को मंजूरी देना अनिवार्य है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. वह देरी भी कर रहे थे.'

सभी राज्य सरकारों की जीत

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के तर्कों को कबूल किया और ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि 'इसे राज्यपाल की तरफ से सहमति देने के रूप में माना जाना चाहिए.' स्टालिन ने कहा,'यह फैसला सिर्फ तमिलनाडु की ही नहीं, बल्कि भारत की सभी राज्य सरकारों की जीत है.'

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