जो खुद कमाने में सक्षम है, उसे भरण-पोषण नहीं मिलेगा', दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत भरण-पोषण तभी दिया जा सकता है, जब याचिकाकर्ता वास्तव में आर्थिक सहायता की आवश्यकता साबित करे.

Oct 18, 2025 - 14:13
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जो खुद कमाने में सक्षम है, उसे भरण-पोषण नहीं मिलेगा', दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि यदि कोई जीवनसाथी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और सक्षम है, तो उसे भरण-पोषण राशि नहीं दी जा सकती. दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने कहा कि स्थायी भरण-पोषण सामाजिक न्याय का उपाय है न कि आर्थिक समानता या लाभ कमाने का साधन.

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत भरण-पोषण तभी दिया जा सकता है, जब याचिकाकर्ता वास्तव में आर्थिक सहायता की आवश्यकता साबित करे. आत्मनिर्भर व्यक्ति को एलिमनी देना न्यायिक विवेक का अनुचित प्रयोग होगा.

फैमिली कोर्ट का आदेश बरक़रार

दिल्ली हाई कोर्ट ने फेमिली कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें एक महिला को एलिमनी देने से इनकार किया गया था और पति को क्रूरता के आधार पर तलाक दिया गया था. मामला एक ऐसे दंपति से जुड़ा था जिन्होंने जनवरी 2010 में शादी की थी, लेकिन 14 महीनों के भीतर अलग हो गए. पति पेशे से वकील थे और पत्नी भारतीय रेलवे यातायात सेवा की ग्रुप-A अधिकारी है. पति ने पत्नी पर मानसिक और शारीरिक क्रूरता, अपमानजनक भाषा और सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाया था. वहीं पत्नी ने भी पति पर प्रताड़ना के आरोप लगाए.

दिल्ली हाई कोर्ट का अहम आदेश

दरअसल फैमिली कोर्ट ने तलाक को मंजूरी देते हुए यह भी दर्ज किया कि पत्नी ने तलाक के लिए 50 लाख के समझौते की मांग की थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा रवैया यह दर्शाता है कि विवाह बचाने की इच्छा नहीं थी बल्कि आर्थिक लाभ का उद्देश्य था.

अदालत ने पाया कि पत्नी ने पति और उसकी मां के खिलाफ गाली-गलौज और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया जिससे मानसिक क्रूरता सिद्ध हुई. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि कम अवधि का साथ कोई संतान नहीं, और महिला की उच्च आय इन सब कारणों से उसे एलिमनी का अधिकार नहीं बनता. कोर्ट ने फेमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए एलिमनी की मांग खारिज कर दी.

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