तबादले से पहले पूर्व कलेक्टर ने गुपचुप स्वीकृत किए थे 25 शस्त्र लाइसेंस, नए कलेक्टर ने किए निरस्त
भिंड जिले के कलेक्टर के रूप में पदभार संभालने के एक महीने बाद जब नए कलेक्टर किरोड़ी लाल मीना ने फाइलों की समीक्षा कराई, तो उन्हें यह गड़बड़ी सामने आई. गड़बड़ी सामने आते ही नए कलेक्टर ने स्वीकृत सभी 25 शस्त्र ला इसेंस को निरस्त कर दिया है.
अक्सर विवादों में घिरे रहने वाले भिंड जिले पूर्व कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव एक बार फिर चर्चा में हैं. खबर है कि अपने तबादले से ठीक पहले उन्होंने गुपचुप 25 शस्त्र लाइसेंस स्वीकृत कर दिए थे, जबकि जिले में पिछले कई वर्षों से नए शस्त्र लाइसेंस जारी करने पर प्रशासनिक रोक लगी हुई है, जिन्हें अब मौजूदा भिंड कलेक्टर ने निरस्त कर दिए हैं.
भिंड जिले के कलेक्टर के रूप में पदभार संभालने के एक महीने बाद जब नए कलेक्टर किरोड़ी लाल मीना ने फाइलों की समीक्षा कराई, तो उन्हें यह गड़बड़ी सामने आई. गड़बड़ी सामने आते ही नए कलेक्टर ने स्वीकृत सभी 25 शस्त्र लाइसेंस को निरस्त कर दिया है.
सभी 25 शस्त्र लाइसेंस को निरस्त कर कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए
गौरतलब है जांच में पाया गया कि किसी भी आवेदक की पुलिस रिपोर्ट में न तो जान का कोई खतरा बताया गया था, न ही किसी प्रकार की सुरक्षा की आवश्यकता जताई गई थी. इसके बावजूद तत्कालीन कलेक्टर ने सभी आवेदनों को नोट शीट में मंजूरी दे दी थी. नए कलेक्टर ने सभी 25 शस्त्र लाइसेंस को निरस्त कर मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
कई प्रशासनिक और राजनीतिक लोगों के स्वीकृत किए गए थे लाइसेंस
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्वीकृत किए गए इन लाइसेंसों में कई ऐसे नाम शामिल हैं जो प्रशासनिक या राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों से जुड़े हैं.इनमें कलेक्टरेट के दो कर्मचारी, अपर कलेक्टर कार्यालय का एक कर्मचारी, दो बीजेपी नेताओं के समर्थक, एक स्थानीय विधायक के समर्थक, ग्वालियर के एक बीजेपी नेता से जुड़े लोग भी शामिल है.
पूर्व कलेक्टर ने शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदनों पर गोपनीय तरीके से नोट शीट तैयार की थी और किसी भी विभागीय या पुलिस आपत्ति को दरकिनार करते हुए अंतिम स्वीकृति प्रदान कर दी. इसका खुलासा कलेक्टरेट के लंबित प्रस्तावों और आदेशों की समीक्षा के दौरान हुआ.
पूर्व कलेक्टर के कारनामों से प्रशासनिक हलकों में मच गया हड़कंप
ताजा खुलासे के बाद अधिकारियों में चर्चा है कि जब जिले में वर्षों से शस्त्र लाइसेंस पर रोक लगी है, तो फिर इन मामलों में इतनी जल्दी और गोपनीय तरीके से अनुमोदन कैसे दे दिया गया. वहीं, कुछ सूत्रों का कहना है कि इन लाइसेंसों को स्वीकृत कराने के पीछे राजनीतिक दबाव भी था. हालांकि, इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.
कानून व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता से समझौता नहीं करेंगे'
मामले पर कलेक्टर किरोड़ी लाल मीना ने साफ कहा है कि “जिले में कानून व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता से समझौता नहीं किया जाएगा. जिन लाइसेंसों में नियमों का पालन नहीं किया गया है, उन्हें रद्द किया गया है. यदि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की भूमिका संदिग्ध पाई जाती है, तो आगे कार्रवाई भी की जाएगी.
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