देशभर के वकीलों के लिए बड़ी राहत; अब राज्य बार काउंसिल नहीं कर सकेगा मनमानी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
देशभर के नए वकीलों के लिए राहत भरी खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने नए वकीलों के एनरोलमेंट पर बड़ा फैसला सुनाया है. ऐसे में राज्यों में बार काउंसिल अब अपनी मर्जी नहीं चला सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट का राज्यों के बार काउंसिल को निर्देश
एडवोकेट्स एक्ट में दिए प्रावधान से राशि नहीं ले सकते
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार सुबह एक बड़ा फैसला सुनाया है. यह देशभर के नए वकीलों के लिए राहत लेकर आया है. फैसला नए वकीलों के एनरोलमेंट से जुड़ा है. जहां उनसे कई राज्यों में बार काउंसिल एडवोकेट्स एक्ट में दिए प्रावधान से ज्यादा से ज्यादा रकम वसूल रहे थे. अब इसपर रोक लगाई गई है.
सर्वोच्च न्यायालय ने 30 जुलाई को एक फैसले में कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया और राज्य बार काउंसिल सामान्य श्रेणी के वकीलों से नामांकन शुल्क के रूप में 750 रुपये से अधिक और पिछड़े वर्ग के वकीलों से 125 रुपये से अधिक की मांग नहीं कर सकते.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि विविध शुल्क के नाम पर अत्यधिक शुल्क वसूलना युवा अधिवक्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, खासकर यदि वे गरीब या मार्जिनलाइज्ड समुदायों से आते हैं.
कहा गया कि अधिक शुल्क वसूलना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(3) और 14 तथा अधिवक्ता अधिनियम की धारा 24(1)(एफ) का भी उल्लंघन है.
CJI ने कही ये बड़ी बात
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, 'कुछ राज्य बार काउंसिल नामांकन शुल्क के रूप में ₹40,000 वसूल रहे थे.' दरअसल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने नामांकन शुल्क में वैधानिक वृद्धि के लिए सरकार के समक्ष एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए अदालत से अनुरोध किया है. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय भविष्य में लागू होगा. वहीं, कोर्ट ने ये भी कहा कि बार काउंसिल को पहले से एकत्र की गई फीस वापस करने की आवश्यकता नहीं है.
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