ना PM की सभा में, ना पार्टी के पोस्टर में... पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर को BJP ने क्यों किया किनारे?

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार से गायब हैं. उन्हें ना तो PM मोदी के साथ मंच पर जगह मिली और ना ही पार्टी के पोस्टरों में. अब सवाल यही उठता है कि खट्टर को चुनाव प्रचार से दूर क्यों रखा गया है.

Sep 27, 2024 - 11:35
 0  10
ना PM की सभा में, ना पार्टी के पोस्टर में... पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर को BJP ने क्यों किया किनारे?

हरियाणा के CM रहे हैं खट्टर

साढ़े 9 साल CM रह चुके

हरियाण में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने तगड़ी रणनीति तैयार की है. इसे तभी से लागू कर दिया गया था, जब सूबे की कमान मनोहर लाल खट्टर से लेकर नायब सिंह सैनी को दी गई थी. खट्टर को लोकसभा चुनाव लड़वाकर पार्टी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी. एक दौर था जब खट्टर के बिना हरियाणा में पत्ता तक नहीं हिलता था, अब वे PM मोदी की रैली से भाजपा के पोस्टरों तक से गायब हैं.

कहां हैं खट्टर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोनीपत के गोहाना में रैली की थी. लेकिन इसमें खट्टर नजर नहीं आए. इसे पहले भी वे चुनावी रैली कर चुके, उसमे न भी खट्टर मंच पर नहीं दिखे. भाजपा ने प्रचार अभियान के दौरान जो पोस्टर जारी किए हैं या लगाए हैं, इनमें भी खट्टर की तस्वीर नहीं है. इसके बाद से ही ये सवाल उठ रहा है कि खट्टर हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार से दूर क्यों है?

चुनाव प्रचार से खट्टर क्यों दूर-दूर?

एंटी इनकंबेंसी से बचाव: ऐसा माना जा रहा है कि मनोहर लाल खट्टर खुद प्रचार से दूर नहीं हैं, बल्कि पार्टी ने ही उन्हें पीछे रहने के लिए कहा है. इसका सबसे बड़ा कारण खट्टर के खिलाफ प्रदेश के लोग में एंटी इनकंबेंसी का होना है. खट्टर साढ़े 9 साल तक प्रदेश के CM रहे. उनके कई फैसलों और किसान आंदोलन के दौरान उनके रवैये से नाराज हुए लोगों की संख्या बड़ी तादाद में हैं.

विपक्ष को ना मिले मौका: यदि खट्टर चुनाव प्रचार में आगे रहे, PM की सभाओं में भाषण दिया तो वे लाइमलाइट में आएंगे. इसके बाद विपक्ष उनको मुद्दा बना सकता है. उनके चेहरे को दिखाकर एंटी इनकंबेंट वोट को फिर से एक्टिव कर सकता है.

OBC के छिटकने का डर: यदि खट्टर एक्टिव रहेंगे तो प्रदेश में ये मैसेज जा सकता है कि वे ही सुपर CM हैं. नायब सैनी को CM बनाकर पार्टी ने OBC को अपने पाले में करना चाहा. ऐसे में खट्टर को आगे करके भाजपा OBC की नाराजगी मोल लेने का रिस्क नहीं उठाना चाहती. OBC का 30% वोट भाजपा को मिला तो गेम चेंजर साबित हो सकता है. 

साभार