पत्‍नी सीता जी का त्‍याग करने के बाद प्रभु राम ने निभाया ये वचन, भावुक कर देगी ये कथा

प्रभु राम को मर्यादापुरुषोत्‍तम कहा गया है क्‍योंकि उन्‍होंने हर स्थिति में मर्यादाओं और नियमों का पालन किया है. इसके लिए भले ही उन्‍हें कितने भी कष्‍ट क्‍यों ना सहने पड़े हों. पत्‍नी सीता का त्‍याग और उसके बाद का जीवन भी इसका उदाहरण है.

Jan 14, 2024 - 10:31
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पत्‍नी सीता जी का त्‍याग करने के बाद प्रभु राम ने निभाया ये वचन, भावुक कर देगी ये कथा

भगवान विष्‍णु के अवतार बनकर मनुष्‍य रूप में जन्‍मे प्रभु राम ने पुत्र, भाई, पति, राजा, योद्धा आदि सभी रूपों में अपने धर्म को निभाया है इसलिए उन्‍हें मर्यादापुरुषोत्‍तम कहा गया है. इसी तरह प्रभु राम की पत्‍नी सीता जी और भाई लक्ष्‍मण ने भी अपने धर्म और श्रीराम जी के प्रति अपने प्रेम को निभाते हुए 14 साल तक जंगलों में भटकना और कष्‍ट उठाना पसंद किया. रामायण धर्म पालन से जुड़ी कई कथाओं से भरी हुई है. ऐसी ही एक कथा उस समय की है जब धोबी के कहने पर प्रभु राम ने पत्‍नी सीता का त्‍याग कर दिया था और वे राजा बनकर अपने राजधर्म का पालन कर रहे थे. 

पत्‍नी सीता जी को दिया था वचन 

रामायण में सीता स्वयंवर का प्रसंग आता है, जिसमें भगवान शिव का धनुष तोड़ने के बाद जनकदुलारी सीता अपने पति के रूप में प्रभु राम का वरण करती हैं. स्‍वयंवर जीतने के बाद राम सीता का विवाह होता है. फिर राजा जनकी की बेटी सीता प्रभु राम की पत्‍नी बनकर अयोध्‍या आती हैं. तब राम जी उन्‍हें उपहार में एक वचन देते हैं कि उनके जीवन में सीता के अलावा कोई स्त्री नहीं आएगी. जबकि उस समय में राजाओं में कई विवाह करने की परंपरा थी लेकिन राम ने सीता के प्रति अपना समर्पण दिखाते हुए उन्हें ये वचन दिया था कि वे हमेशा एक पत्नी व्रत का पालन करेंगे. साथ ही पत्‍नी सीता को ये भी वचन दिया था कि जिस स्थिति में सीता रहेंगी, खुद भी वैसे ही रहेंगे. इस बात का प्रमाण राम ने रावण वध के बाद अयोध्‍या के राजा बनने के बाद दिया.

राजा बनने के बाद भी सोए जमीन पर 

रावण वध के बाद प्रभु राम अयोध्‍या आए और राजा बनकर अपने राजधर्म का पालन करने लगे, तब एक धोबी ने सीता जी के चरित्र पर सवाल उठाया. समाज में कोई बुरी परंपरा शुरू ना हो, इस कारण राम को सीता का त्याग करके उन्हें वनवास देना पड़ा. लेकिन प्रभु राम ने माता सीता को विवाह के बाद दिए वचन का पालन किया. जिसके तहत ना तो उन्‍होंने दूसरा विवाह किया बल्कि जिस तरह सीता जी को वन में जमीन में सोना पड़ा, जंगली फल खाकर जीवन गुजारना पड़ रहा था. प्रभु राम ने राजा बनने के बाद महलों में रहते हुए भी वही जिंदगी जी. प्रभु राम महल में रहकर भी अपनी पत्‍नी सीता की तरह ही वनवासी जीवन बिताते. वे जमीन पर सोते थे और बेहद सादा भोजन करते थे. 

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