बिलकिस बानो फैसला - जब SC ने सुधारी अपनी एक पुरानी भूल
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के गुनाहगारों को वापस जेल भेजकर गुजरात सरकार को नैतिकता और कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करने का पाठ पढ़ाया.
बिलकिस बानो के गुनाहगारों को वापस जेल भेजकर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नैतिकता और कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करने का पाठ तो पढ़ाया ही है, साथ ही अपनी एक भूल को भी सुधारा है. ये भूल थी 13 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट को दिया फैसला. इस फैसले में तब सुप्रीम कोर्ट ने बिलिकिस केस के एक दोषी की याचिका पर सुनवाई कर फैसला दिया था कि दोषियों की रिहाई के बारे में फैसला लेने का अधिकार गुजरात सरकार का है, जहाँ अपराध घटित हुआ है. महाराष्ट्र सरकार का नहीं, जहां इस केस का ट्रायल हुआ. तब कोर्ट ने कहा था कि गुजरात सरकार 1992 की नीति के मुताबिक दोषियों की रिहाई के बारे में फैसला ले सकती है. इसी फैसले के आधार पर ही बाद में गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला ले लिया था.
आज जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने कहा कि 13 मई 2022 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला कानून गलत था. कोर्ट ने कहा कि तब जिस राधेश्याम नाम के दोषी की याचिका पर फैसला आया था, उसने गलत जानकारी देकर, तथ्यों को छुपाकर कोर्ट को गुमराह किया जिसके चलते कोर्ट ने तब तय कानूनी व्यवस्था के खिलाफ' जाकर फैसला दे दिया.
गुजरात सरकार ने 2022 के फैसले पर रिव्यू नहीं दाखिल किया
दिलचस्प ये है, कि जब राधेश्याम नाम के दोषी की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी, तब सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने दोषी की याचिका का विरोध किया था और दलील दी थी कि रिहाई के बारे में महाराष्ट्र सरकार को ही फैसला लेने का अधिकार है, उसको नहीं. लेकिन जब 13 मई 2022 को अदालत ने फैसला दे दिया कि गुजरात को रिहाई के बारे में फैसला लेने का अधिकार है तो गुजरात सरकार ने इस फैसले को पुर्नविचार याचिका के जरिये चुनौती नहीं दी.
गुजरात ने किया कोर्ट के आदेश का ग़लत इस्तेमाल
आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में गुजरात सरकार की खिंचाई की है. कोर्ट ने आज कहा कि अगर गुजरात सरकार को कोर्ट के पुराने फैसलों और कानूनी प्रकिया की परवाह की होती तो वो पुर्नविचार याचिका दाखिल कर इस फैसले को ज़रूर चुनौती देती. लेकिन गुजरात सरकार ने रिव्यू पिटीशन तो दाखिल की नहीं, उल्टे इस फैसले को आधार बनाकर 11 दोषियों की रिहाई का फैसला ले लिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये अपने आप में अनुपम उदाहरण है कि कैसे कोर्ट के आदेश का इस्तेमाल कानून के उल्लंघन करने में हुआ और गुजरात सरकार ने इस फैसले को आधार मानकर सभी दोषियों की रिहाई का फैसला ले लिया, जबकि उसका ये क्षेत्राधिकार ही नहीं बनता था.
गुजरात सरकार का फैसला निरस्त
आज सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि गुजरात सरकार इस केस में दोषी के साथ मिलीभगत में नजर आई. गुजरात सरकार की ओर से दोषियों की रिहाई के बारे में लिया गया फैसला अपने विशेषाधिकार का दुरुपयोग है, ये दूसरे राज्य के विशेषाधिकार को हड़पने जैसा है. हम इस पर विचार करने के बजाए कि गुजरात सरकार ने रिहाई की प्रकिया का सही पालन किया या नहीं, रिहाई के आदेश को सिर्फ इस आधार पर खारिज कर रहे है कि इसका फैसला उस सरकार ने लिया जिसको ये फैसला लेने का अधिकार ही नहीं था.
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