मध्य प्रदेश पुलिस की FIR में दो पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट से राहत, हाईकोर्ट जाने को कहा

Jun 9, 2025 - 12:23
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मध्य प्रदेश पुलिस की FIR में दो पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट से राहत, हाईकोर्ट जाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज FIR में दो पत्रकारों को दो सप्ताह की अंतरिम सुरक्षा प्रदान की और उन्हें राहत के लिए हाईकोर्ट जाने को कहा। जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ मध्य प्रदेश के भिंड के पत्रकार शशिकांत जाटव और अमरकांत सिंह चौहान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दावा किया गया कि चंबल नदी का दोहन कर रहे 'रेत माफिया' की रिपोर्टिंग करने पर राज्य पुलिस अधिकारियों ने उन पर शारीरिक हमला किया 

खंडपीठ ने पत्रकारों को दो सप्ताह की सुरक्षा प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की, जब तक कि वे अपनी जमानत पर विचार करने के लिए हाईकोर्ट नहीं जाते। आदेश में कहा गया: "हम अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, आरोपों की प्रकृति को देखते हुए हम याचिकाकर्ता को आज से दो सप्ताह की अवधि के भीतर संबंधित हाईकोर्ट में पेश होने के लिए भेजते हैं। जब तक याचिकाकर्ता हाईकोर्ट नहीं जाते और संबंधित हाईकोर्ट अंतरिम राहत के लिए उनकी प्रार्थना पर विचार नहीं करता, तब तक याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।

इससे पहले मामले में नोटिस जारी करते हुए खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं। जवाब में याचिकाकर्ताओं की एडवोकेट वारिशा फरासत ने बताया कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता गिरफ्तारी पर रोक और बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, जो प्रार्थनाएं दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष नहीं की गई थीं। सुनवाई के दौरान, मध्य प्रदेश राज्य के वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ जबरन वसूली के कथित मामलों के लिए जनता द्वारा कई शिकायतें उठाई गई।

"जनता द्वारा उठाई गई 10 से अधिक शिकायतें - जबरन वसूली के आरोप हैं!" फरासत ने जोर देकर कहा कि ऐसा दावा "सत्य नहीं है"। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया, "हम यहां इसलिए हैं, क्योंकि हम वास्तव में अपने जीवन के लिए डर रहे हैं।" अंतरिम राहत देते हुए न्यायालय ने कहा कि अधिकार क्षेत्र वाला हाईकोर्ट वकीलों द्वारा उठाए गए इन पहलुओं पर विचार कर सकता है।

Case Title: SHASHIKANT JATAV @ SHASHIKANT GOYAL @ SHASHI KAPOOR v. STATE OF MADHYA PRADESH, W.P.(Crl.) No. 237/2025

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