यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे पर आया बड़ा फैसला, जानिए NGT ने क्या कहा?
यूका के जहरीले कचरे को लेकर गांरटी वाली याचिका पर एनजीटी का बड़ा फैसला सामने आया है. इस याचिका को खारिज कर दिया गया है. एनजीटी ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट के आदेश से आपत्ति है तो वह हाई कोर्ट के समझ अपनी बात रखें.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यूनियन कार्बाइड के कचरे पर सुरक्षा को लेकर गारंटी मांगने वाली याचिका पर सुनवाई की. जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से अधिवक्ता पीजी नाजपांडेय द्वारा दायर याचिका में सरकार से आश्वासन मांगा गया था कि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड अपशिष्ट निपटान से आसपास के क्षेत्रों के लोगों को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. सरकार यूका के कचरे से नुकसान ना होने की गारंटी ले. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने इसे खारिज कर दिया.
जहरीले कचरे का विरोध
दरअसल, भोपाल गैस त्रासदी के कचरे को जब से पीथमपुर में जलाने के लिए भेजा गया है, तब से इसको लेकर बवाल चल रहा है. पीथमपुर के यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को यहां जलाने से मना कर रहे हैं. इसको लेकर मोहन सरकार ने हाई कोर्ट से कुछ वक्त मांगा है. यह मामला अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है. एनजीटी में इस मामले को लेकर याचिका दायर की गई है. जबलपुर निवासी पीजी नाजपांडेय ने कचरे की साइंटिफिक जांच कराने की मांग की. दायर याचिका में पीथमपुर में जहरीला कचरा जलाने से किसी प्रकार के नुकसान नहीं होने की गारंटी मांगी गई थी. जिसे एनजीटी ने खारिज कर दिया.
जानिए एनजीटी ने क्या कहा?
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने इस याचिका पर सुनावाई के दौरान कहा कि कचरा जलाने के प्रभावों पर वैज्ञानिक रिपोर्ट पहले ही उच्च और उच्चतम न्यायालय को दी जा चुकी है. जरूरत पड़ी तो वैज्ञानिक रिपोर्ट का सार मीडिया में प्रकाशित करवाया जा सकता है. एनजीटी ने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला उच्च न्यायालय के सामने विचाराधीन है, इसलिए इसे न्यायाधिकरण में नहीं सुना जा सकता. अगर याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट के आदेश से आपत्ति है तो वह हाई कोर्ट के समझ अपनी बात रखें.
जानिए क्या थी याचिका
जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने बीते 3 जनवरी को एनजीटी में याचिका दायर की थी. इस याचिका में मुख्य सचिव द्वारा एक शपथपत्र पर यह घोषणा करने की मांग की गई कि पीथमपुर में यूके के जहरीले कचरे के जलाने से भूमि, जल और हवा की गुणवत्ता पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़े. इस याचिका में यह भी कहा गया कि भोपाल, धार और पीथमपुर के प्रशासनिक अधिकारी भी ऐसा ही शपथ-पत्र दें जिसमें यह उस क्षेत्र में कोई नुकसान ना होने का उल्लेख होगा. एनजीटी के न्यायाधीश शेव कुमार सिंह और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद ने इस याचिका पर 15 जनवरी को सुनवाई की. जिसके बाद अब फैसले को जारी किया गया है. जिसमें इस शपथ पत्र वाली याचिका को खारिज कर दिया गया है.
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