व्यवस्था का मज़ाक: हाईकोर्ट जज नियुक्त करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट में जज के रूप में अपनी नियुक्ति की मांग वाली याचिका पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे व्यवस्था का मज़ाक करार दिया और याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ जीवी सरवन कुमार द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें तेलंगाना हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस ने याचिका पर विचार करने से साफ इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि इस तरह की मांग को कॉलेजियम सिस्टम और संविधान का ही उपहास बताया।
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा, "मैं एक काम करूंगा। मैं कॉलेजियम की बैठक के लिए तीन सबसे सीनियर जज की एक पीठ का गठन करूंगा। यह व्यवस्था का मज़ाक है! आपने हाईकोर्ट जज के रूप में नियुक्ति के लिए अभ्यावेदन या आवेदन करने के बारे में कहाँ सुना है? यह व्यवस्था का मज़ाक है!" पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील पर भी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें ऐसी याचिका दायर करने के लिए सहमत ही नहीं होना चाहिए था। पीठ ने यहाँ तक कह दिया कि ऐसी याचिका दायर करने के लिए हमें आपका सनद (वकालत करने का लाइसेंस) वापस ले लेना चाहिए। वकील द्वारा तुरंत माफी मांगने के बाद पीठ ने याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्थापित संवैधानिक मानदंडों के महत्व पर अपनी मजबूत स्थिति को रेखांकित किया।
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