शादी का वादा और सहमति पर आधारित संबंध बलात्कार नहीं माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट ने POCSO मामला खारिज किया

Aug 5, 2025 - 11:47
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शादी का वादा और सहमति पर आधारित संबंध बलात्कार नहीं माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट ने POCSO मामला खारिज किया

यह दोहराते हुए कि शादी के वादे पर आधारित सहमति से बनाया गया संबंध बलात्कार का अपराध नहीं माना जाएगा, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति के खिलाफ POCSO Act के तहत दर्ज मामला खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "इस न्यायालय ने कई फैसलों में माना है कि शादी का वादा और सहमति से दोनों के बीच शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं माना जाएगा। इसके लिए कारण बताए गए हैं (देखें: पृथ्वीराजन बनाम राज्य, 2025 एससीसी ऑनलाइन एससी 696, प्रमोद सूर्यभान पवार बनाम महाराष्ट्र राज्य, (2019) 9 एससीसी 608, महेश्वर तिग्गा बनाम झारखंड राज्य, (2020) 10 एससीसी 108)।

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने इस प्रकार एक युवक के खिलाफ मामला रद्द कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि शिकायत तीन साल बाद, जब वह बालिग हो गई, देरी से दर्ज की गई। इसके अलावा, कोई भी फोरेंसिक सबूत यह नहीं दर्शाता कि अभियोक्ता के साथ बलात्कार किया गया था। खंडपीठ ने कहा, “हमारी सुविचारित राय में जहां तक पीड़िता के नाबालिग रहते हुए अपीलकर्ता द्वारा बलात्कार किए जाने का सवाल है, अभियोजन पक्ष के पास कोई सबूत नहीं है। निश्चित रूप से कोई फोरेंसिक सबूत नहीं है। POCSO Act के तहत मामला बनाने के लिए तीन साल से अधिक समय बाद FIR में केवल एक आरोप लगाया गहै कि बलात्कार का ऐसा कृत्य तीन साल पहले किया गया था, जब वह नाबालिग थी। उसने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि उसने इस कृत्य के लिए सहमति दी थी, क्योंकि अपीलकर्ता ने उससे शादी का वादा किया था।”

आरोपों के अनुसार, पीड़िता नाबालिग (15 वर्ष की) थी, जब उसने शादी के वादे पर अपीलकर्ता के साथ सहमति से यौन संबंध बनाए। वयस्क होने पर अपीलकर्ता ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया और उसके परिवार ने उसे कथित तौर पर अपमानित किया, जिसके कारण 2022 में अपीलकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 417 (धोखाधड़ी), 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) के साथ धारा 34 और POCSO Act की धारा 6 (बच्चे पर गंभीर यौन हमला) के तहत FIR दर्ज की गई।

हाईकोर्ट द्वारा FIR रद्द न करने के फैसले से व्यथित होकर आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। आलोचना के निष्कर्ष को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि यद्यपि नाबालिग के साथ सहमति से यौन संबंध तकनीकी रूप से POCSO के तहत बलात्कार है, फिर भी यदि दावे का समर्थन करने वाला कोई मेडिकल साक्ष्य नहीं है तो अदालतें मामले को रद्द कर सकती हैं। इसके अलावा, न्यायालय ने POCSO Act के तहत आरोपों की सत्यता पर संदेह व्यक्त किया। इसने कहा कि नाबालिग के साथ सहमति से यौन संबंध हुआ था, लेकिन शिकायत वयस्क होने के बाद संबंध टूटने के बाद ही सामने आई

न्यायालय ने पृथ्वीराजन बनाम राज्य (2025) मामले में हाल ही में दिए गए निर्णय का भी हवाला देते हुए अभियोजन पक्ष के इस दावे को खारिज कर दिया कि अपीलकर्ता ने शादी का झूठा वादा करके बलात्कार किया था। न्यायालय ने कहा कि यह संबंध सहमति से था और ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि अपीलकर्ता का शुरू से ही उससे शादी करने का कोई इरादा नहीं था। तदनुसार, अपील स्वीकार कर ली गई और अपीलकर्ता के खिलाफ लंबित FIR रद्द कर दी गई।

Cause Title: KUNAL CHATTERJEE VERSUS THE STATE OF WEST BENGAL & ORS.

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