10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर CM मोहन की सौगात; MP के सभी जिलों में हेल्पलाइन
अब तक आयुर्वेद दिवस धनतेरस के दिन मनाया जाता था. हिंदू कैलेंडर पर आधारित होने के कारण आयुर्वेद अंग्रेजी कैलेंडर पर इसकी तारीख हर साल बदलती रहती थी. लेकिन अब 23 सितंबर को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है
केंद्र सरकार ने 23 सितंबर को प्रत्येक वर्ष आयुर्वेद दिवस (Ayurveda Day 2025) मनाने का फैसला किया है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) "10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस" के राज्य स्तरीय कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे साथ ही आयुष एवं पर्यटन विभाग के बीच एमओयू होगा. आयुर्वेद को एक वैज्ञानिक साक्ष्य-आधारित और समग्र चिकित्सा प्रणाली के रूप में बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद दिवस हर साल मनाया जाता रहा है, लेकिन इसकी तारीख निश्चित नहीं थी. पहले यह दिवस धनतेरस के अवसर पर मनाया जाता था, लेकिन अब वैश्विक पहचान को ध्यान में रखते हुए इसे अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फिक्स कर दिया गया है. इस वर्ष ऐतिहासिक 10वां आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है.
MoU और हेल्पलाइन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंगलवार को राज्य स्तरीय "10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस" का शुभारंभ कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में दोपहर 3 बजे करेंगे. कार्यक्रम में साथ ही आयुष वैलनेस टूरिज्म अंतर्गत आयुष विभाग एवं पर्यटन विभाग के मध्य एमओयू होगा. मुख्यमंत्री डॉ. यादव आयुष जनस्वास्थ्य कार्यक्रम का 55 जिले की 55 इकाई में प्रसार एवं कैंसर रोगियों के लिए "कारुण्य" कार्यक्रम और औषधि पौधों के लिए हेल्पलाइन का शुभारंभ करेंगे. साथ ही एस.एम.पी.बी. की 'मध्य हर्बल दर्पण' पत्रिका का विमोचन और जन आरोग्य समिति की नियमावली का विमोचन भी करेंगे. कार्यक्रम स्थल पर आयुष विभाग द्वारा प्रदर्शनी भी लगाई जायेगी.
क्यों खास है 23 सितंबर की तारीख?
आयुर्वेद निवारक स्वास्थ्य देखभाल और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अब तक आयुर्वेद दिवस धनतेरस के दिन मनाया जाता था. हिंदू कैलेंडर पर आधारित होने के कारण आयुर्वेद अंग्रेजी कैलेंडर पर इसकी तारीख हर साल बदलती रहती थी.
आयुष मंत्रालय ने यह भी उल्लेख किया कि अगले दशक में धनतेरस की तारीख 15 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच व्यापक रूप से बदलती रहेगी, जिससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजनों को करने में तार्किक चुनौतियां उत्पन्न होंगी.
इस असंगति को दूर करने और राष्ट्रीय तथा वैश्विक उत्सवों के लिए एक स्थिर संदर्भ बिंदु स्थापित करने के लिए आयुष मंत्रालय ने उपयुक्त विकल्पों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया. विशेषज्ञ पैनल ने चार संभावित तारीखों का प्रस्ताव रखा, जिसमें 23 सितंबर की तारीख सर्वश्रेष्ठ विकल्प के रूप में सामने आई. यह निर्णय व्यावहारिक और प्रतीकात्मक दोनों विचारों पर आधारित था.
नई तारीख 23 सितंबर, शरद विषुव के साथ मेल खाती है, जब दिन और रात लगभग बराबर होते हैं. यह खगोलीय घटना प्रकृति में संतुलन का प्रतीक है, जो आयुर्वेद दर्शन के साथ पूर्ण रूप से मेल खाती है, जो मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन पर जोर देती है.
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