NI Act | 'चेक अनादर की शिकायत दर्ज करने के लिए 30 दिन की समय-सीमा अनिवार्य': सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत खारिज की

Sep 11, 2025 - 09:47
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NI Act | 'चेक अनादर की शिकायत दर्ज करने के लिए 30 दिन की समय-सीमा अनिवार्य': सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (NI Act) की धारा 142(बी) के तहत शिकायत दर्ज करने के लिए निर्धारित 30 दिन की समय-सीमा अनिवार्य है, जब तक कि विलंब की क्षमा के लिए कोई औपचारिक आवेदन न हो और उसे अनुमति देने वाला न्यायिक आदेश न हो। अदालत ने कहा, "एक बार जब क़ानून शिकायत दर्ज करने के लिए अनिवार्य समय-सीमा निर्धारित कर देता है तो उसमें कोई विचलन नहीं हो सकता, सिवाय इसके कि शिकायत के साथ विलंब के कारणों का खुलासा करते हुए क्षमा की मांग करने वाला आवेदन दायर किया गया हो और तब भी न्यायालय के लिए यह अनिवार्य है कि वह समय-सीमा के बाद ऐसी शिकायत पर ध्यान दे और बताए गए कारणों पर स्वतंत्र रूप से विचार करे और इस विवेकपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचे कि उस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में क्षमा उचित है। ऐसा न किए जाने पर आदेश बरकरार नहीं रखा जा सकता।"

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने चेक बाउंस की शिकायत इसलिए खारिज की, क्योंकि यह वैधानिक 30 दिन की सीमा अवधि के बाद यानी पैंतीसवें दिन दायर की गई थी। शिकायत के साथ न तो विलंब क्षमा आवेदन दायर किया गया और न ही क्षमा को उचित ठहराने वाला कोई न्यायिक रिकॉर्ड मौजूद था। इसलिए न्यायालय ने दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया, जिसमें निचली अदालत द्वारा शिकायत को सीमा अवधि में बताते हुए समन जारी करने का फैसला बरकरार रखा गया था

इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी माना कि जब शिकायत कानून द्वारा निर्धारित समय सीमा के बाद दायर की गई हो तो स्वतः या प्रकल्पित क्षमा नहीं हो सकती। न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब कोई शिकायत सीमा अवधि के बाद दायर की जाती है तो वैध कारणों के साथ विलंब क्षमा आवेदन अनिवार्य है और संज्ञान लेने से पहले उसकी न्यायिक जांच की जानी चाहिए। अदालत ने कहा, "तर्क के लिए भी, अगर यह मान लिया जाए कि अधिनियम की धारा 142 के तहत न्यायालय को विलंब को क्षमा करने का अधिकार है तो पहली आवश्यकता यह है कि न्यायालय को इस तथ्य पर ध्यान देना होगा कि विलंब हुआ है। उसके बाद ही यह विचार करना होगा कि क्या शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए कारण ऐसे विलंब को क्षमा करने के लिए पर्याप्त हैं। उसके बाद ही संज्ञान लेना होगा और समन जारी करने की कार्यवाही करनी होगी।"

आगे कहा गया, "वर्तमान मामले में ऐसा बिल्कुल नहीं किया गया। हाईकोर्ट का मत है कि यद्यपि विलंब हुआ होगा, फिर भी निचली अदालत विलंब को क्षमा करने के अपने अधिकार के भीतर है। अधिनियम की धारा 142(बी) के अनुसार, विलंब क्षमा के लिए आवेदन दायर करना वैधानिक आदेश नहीं है, जो कि हमारे सुविचारित विचार में, त्रुटिपूर्ण है।" परिणामस्वरूप, अपील स्वीकार कर ली गई और शिकायत रद्द कर दी गई।

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