क्या कोई खुद को राइफल से सीने पर गोली मार सकता है? : सुप्रीम कोर्ट ने एमपी पुलिस से पूछा, संदिग्ध आत्महत्या मामले में जांच पर उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश पुलिस से सवाल किया कि क्या वास्तव में कोई व्यक्ति राइफल से अपने ही सीने पर गोली चला सकता है? अदालत ने कहा कि यह पहलू गहन जांच की मांग करता है। कोर्ट ने राज्य सरकार को शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया कि क्या जांच एजेंसी ने हत्या की संभावना सहित सभी पहलुओं की जांच की है। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कहा, "हमारी समझ से यह जांचने की आवश्यकता है कि क्या कोई व्यक्ति राइफल का इस्तेमाल कर अपने सीने पर गोली चला सकता है।"
मामला भोपाल स्थित शूटिंग अकादमी के 17 वर्षीय स्टूडेंट की मौत से जुड़ा है। उसे आत्महत्या का मामला मानते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि उसने खुद को राइफल से गोली मारी। इस आधार पर हाईकोर्ट ने आरोपी स्टूडेंट (प्रतिवादी नंबर 2) को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 के तहत अग्रिम ज़मानत दी थी। पीड़ित पिता का आरोप है कि उनके बेटे पर 40,000 चोरी का झूठा आरोप लगाकर अकादमी के स्टूडेंट्स ने मारपीट की मोबाइल छीनकर जबरन स्वीकारोक्ति मैसेज भेजे और आत्महत्या के लिए उकसाया। मृतक ने मरने से पहले अपनी बहन और दोस्त को आत्महत्या की जानकारी दी और एक सुसाइड नोट भी छोड़ा, जिसमें सहपाठियों को दोषी ठहराया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि हाईकोर्ट ने न केवल घटना को हल्के में लिया बल्कि मृतक (जो नाबालिग था) को ही दोषी ठहराने जैसा व्यवहार किया। उनका तर्क है कि आरोपी प्रभावशाली परिवार से है और अब तक उसने जांच में सहयोग नहीं किया है, इसलिए उससे हिरासत में पूछताछ जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य से कहा कि वह शपथपत्र में राइफल की ज़ब्ती, उसकी लंबाई, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य सबूत प्रस्तुत करे।
केस टाइटल: अरुण कुमार रघुवंशी बनाम मध्यप्रदेश राज्य एवं अन्य
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