'प्रमाणित प्रति में निर्णय सुरक्षित रखने, सुनाने और अपलोड करने की तिथियों का उल्लेख करें': सुप्रीम कोर्ट का सभी हाईकोर्ट को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के अनुसार, देश भर के हाईकोर्ट को अब अपने निर्णयों की प्रमाणित प्रति में निर्णय सुरक्षित रखने की तिथि, सुनाए जाने की तिथि और हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए जाने की तिथि का उल्लेख करना होगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए सभी हाईकोर्ट्स को उपरोक्त के अनुपालन में 4 सप्ताह के भीतर अपनी मौजूदा पद्धति या प्रारूप में संशोधन करने का निर्देश दिया।
अदालत ने आदेश दिया, "सभी हाईकोर्ट को अपनी मौजूदा पद्धति या प्रारूप में उचित संशोधन करने का निर्देश दिया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि (i) निर्णय सुरक्षित रखने की तिथि; (ii) निर्णय सुनाए जाने की तिथि; और (iii) वेबसाइट पर निर्णय अपलोड किए जाने की तिथि, निर्णय की अपलोड/प्रमाणित प्रति में स्पष्ट रूप से उल्लिखित हों। हाईकोर्ट चार सप्ताह के भीतर आवश्यक कार्रवाई कर सकता है।" इसमें आगे कहा गया कि हाईकोर्ट के संशोधित प्रारूप में एक कॉलम शामिल होना चाहिए, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि क्या घोषणा केवल कार्यकारी भाग की थी या पूरा निर्णय सुनाया गया। जहां किसी निर्णय का केवल कार्यकारी भाग सुनाया जाता है, वहां कारण घोषणा के पांच दिनों के भीतर बताए जाने चाहिए, जैसा कि रतिलाल झावेरभाई परमार बनाम गुजरात राज्य मामले में कहा गया, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-सीमा में संशोधन न किया जाए।
यह निर्देश उस समय पारित किए गए जब अदालत झारखंड हाईकोर्ट द्वारा आरक्षित आपराधिक अपीलों में निर्णय सुनाने में लगभग तीन वर्ष की देरी के मुद्दे पर विचार कर रहा था। सुनवाई के दौरान, खंडपीठ ने हाईकोर्ट जजों के प्रदर्शन मूल्यांकन पर दिशानिर्देशों की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया और कहा कि न्यायपालिका द्वारा जनता की वैध अपेक्षाओं को पूरा किया जाना चाहिए।
Case Title: PILA PAHAN@ PEELA PAHAN AND ORS. Versus THE STATE OF JHARKHAND AND ANR., W.P.(Crl.) No. 169/2025
साभार