बड़ी से बड़ी मर्डर मिस्ट्री भी कैसे चुटकी में सुलझा लेती है CFSL, कैसे करती है काम? जानकर होंगे हैरान

निर्भया कांड हो या आरजी कर मेडिकल अस्पताल रेप केस हो, ऐसी कई बड़ी से बड़ी मर्डर मिस्ट्री को भी जिसने सुलझाने में अग्रणी भूमिका निभाई वो है-सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी, यानी सीएफएसएल। जानिए ये कैसे करता है काम?

Jun 11, 2025 - 11:25
 0  10
बड़ी से बड़ी मर्डर मिस्ट्री भी कैसे चुटकी में सुलझा लेती है CFSL, कैसे करती है काम? जानकर होंगे हैरान

कहीं भी मर्डर हो, बड़ी आपराधिक घटनाएं हों तो आपने अक्सर सुना होगा सीएफएसल की टीम को भी बुलाया गया, उसने नमूने लिए अब जांच की जाएगी, फिर रिपोर्ट आएगी तो घटना का खुलासा हो जाएगा। तो क्या आपने सोचा है कि निर्भया जैसा जघन्य कांड हो या कोलकाता आरजी कर दुष्कर्म और हत्या की घटना की मर्डर मिस्ट्री हो, आखिर इन सभी घटनाओं को सीएफएसएल ने कैसे सुलझा लिया। ऐसी कई बड़ी घटनाओं को निपटाने में फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री की भूमिका काफी अहम रही है। कितना भी बड़ा अपराधी हो, अपराध के सबूत छोड़ जाता है और उन सबूतों का पर्दाफाश करता है सीएफएसएल।

पूरी दुनिया में क्रिमिनल जस्टिस सिस्‍टम से जुड़े मामलों को सुलझाने के लिए एफएसएल के जरिये महत्‍वपूर्ण सुराग जुटाए जाते हैं। देश में अपराधों की जांच के लिए वैज्ञानिक तरीकों का सहारा लिया जाता है और फिलहाल जो घटनाएं सामने आ रही हैं उनमें अब वैज्ञानिक तरीकों की मदद लेना बेहद जरूरी हो गया है। इस तरह की घटनाओं को सुलझाने में सबसे बड़ा जो नाम सामने आता है वो है सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी यानी सीएफएसएल।

आपराधिक गुत्थी सुलझाने वाला सीएफएसएल

दरअसल, सीएफएसएल की लैब आधुनिक तकनीकों और विशेषज्ञों से लैस होती है जो घटना के बाद वहां के सबूत इकट्ठा करने, उन सबूतों की जांच करने और और फिर उन्हें अदालत में पेश करने के लिए रिपोर्ट तैयार करती है, जो कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम का एक मजबूत हिस्सा है। इसी लैब में बड़े से बड़े क्राइम की कई तरह से जांच होती है और फिर घटना का पर्दाफाश होता है। बता दें कि देश में वर्तमान में दिल्ली, चंडीगढ़, हैदराबाद, कोलकाता, गुवाहाटी और पुणे में सीएफएसएल के ब्रांच हैं।

सीएफएसएल कैसे करता है काम?

देश में फैले इन सीएफएसएल लैब्‍स को विभिन्न केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे-सीबीआई, एनआईए, एनसीबी सहित अन्य एजेंसियों से आपराधिक केस मिलते हैं। इनके अलावा कभी कभी राज्य की पुलिस भी इन लैब्स के पास विशेष घटना की जांच के लिए सैंपल भेजती है। इस लैब के पास बैलिस्टिक्स, बायोलॉजी, केमिस्ट्री, फिंगरप्रिंट, फॉरेन डॉक्यूमेंट्स, फॉरेन्सिक फोटोग्राफी, डीएनए टेस्टिंग और डिजिटल फोरेंसिक, कई तरह के विभाग होते हैं और जब किसी अपराध स्थल से सबूत जैसे खून, बाल, अंगुलियों के निशान, मोबाइल फोन, हथियार या दस्तावेज बरामद होते हैं, तो इन सभी का साइंटिफक टेस्ट सीएफएसएल के लैब में ही जांच किया जाता है।  

जैसे-मर्डर केस में मिले खून के सैंपल से डीएनए की प्रोफाइलिंग की जाती है, जिसमें पता चल जाता है कि आखिर घटनास्थल पर मिला खून किसका है। इसी तरह बंदूक से चली गोली के टुकड़ों की बैलिस्टिक जांच से यह पता लगाया जा सकता है कि फायरिंग किस हथियार से हुई है, क्या वह रिवॉल्वर था या किसी तरह की खास गन थी। ठीक इसी तरह से डिजिटल डिवाइसेज़ की फॉरेंसिक जांच से चैट, कॉल रिकॉर्ड्स, फोटो या वीडियो को रिकवर किया जाता है और उन्हें सबूत की तौर पर अदालत में पेश किया जाता है।

सीएफएसएल की जांच होती है भरोसेमंद

सीएफएसएल की रिपोर्ट अदालतों में अपराध में सबूत के तौर पर मान्य होती हैं और कई बार चश्मदीद गवाह नहीं मिल पाने की स्थिति में वैज्ञानिक साक्ष्य ही जांच और अभियोजन की दिशा भी तय करते हैं। डीएनए टेस्टिंग, फिंगरप्रिंट और फोरेंसिक डॉक्यूमेंट्स की पुष्टि अपराधी को कानून के शिकंजे में लाने में मददगार होती है। हाल ही में कई हाई-प्रोफाइल केस जैसे सुशांत सिंह राजपूत की मौत, पुलवामा हमले की जांच या दिल्ली दंगों के मामलों में सीएफएसएल की लैब्स में जांच के बाद सौंपी गई रिपोर्ट्स ने केस सुलझाने में अहम भूमिका निभाई थी।

साभार