भाजपा में फिर क्यों और कैसे हुई RSS नेता राम माधव की वापसी? कश्मीर चुनाव से पहले कितनी बदली रणनीति
भाजपा में राम माधव 2014-2020 के दौरान राष्ट्रीय महासचिव के रूप में अपनी भूमिका निभा चुके हैं. उस दौरान उन्हें जम्मू-कश्मीर, असम और भारत के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के राजनीतिक मामलों का प्रभारी बनाया गया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रास्ते राजनीति में आए राम माधव की जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की गठबंधन सरकार बनाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है.
Elections: जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 से पहले भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा कदम उठाते हुए पूर्व राष्ट्रीय महासचिव राम माधव को बतौर चुनाव प्रभारी तैनात किया है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए राम माधव और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को प्रभारी नियुक्त किया है.
2014-20 के दौरान भाजपा में काम कर चुके हैं राम माधव
भाजपा के आधिकारिक बयान के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के चुनाव प्रभारी के रूप में माधव और रेड्डी की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू हो गई. इससे पहले राम माधव ने 2014-20 के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में काम किया था. उन्हें जम्मू-कश्मीर, असम और पूर्वोत्तर के बाकी राज्यों के राजनीतिक मामलों का प्रभारी बनाया गया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक और राष्ट्रीय पदाधिकारी के रूप में लंबे समय तक काम करने के बाद भाजपा में पहुंचे राम माधव की जम्मू-कश्मीर में चुनावी रणनीति बनाने भी अहम भूमिका रही है.
जम्मू कश्मीर में भाजपा और पीडीपी गठबंधन के सूत्रधार
माना जाता है कि जम्मू कश्मीर में भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की गठबंधन सरकार बनाने में राम माधव की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही थी. इस गठबंधन सरकार में मुफ्ती मोहम्मद सईद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने थे और भाजपा को उपमुख्यमंत्री का पद मिला था. लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा की जीत के बाद जब जेपी नड्डा को भाजपा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था, तब उन्होंने राष्ट्रीय पदाधिकारियों की टीम में राम माधव को शामिल नहीं किया था. अब नड्डा ने अपने एक्सटेंडेड कार्यकाल के आखिरी दिनों में राम माधव को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.
संघ और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने तैनाती पर की चर्चा
मौजूदा समय में राम माधव इंडिया फाउंडेशन नाम के एक थिंक टैंक के अध्यक्ष हैं. वहीं, भाजपा से वापस होने के बाद उन्हें आरएसएस की राष्ट्रीय टीम में जगह दी गई थी. सूत्रों के मुताबिक, सक्रिय राजनीति में राम माधव की वापसी पर पिछले कुछ दिनों में संघ और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने चर्चा की थी. आखिर में राय बनी कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव में क्षेत्र के प्रभारी के रूप में राम माधव के अनुभव का फायदा उठाना चाहिए.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए तीन चरण में चुनाव
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरण में चुनाव होंगे. इसके लिए 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे. वहीं, नतीजे चार अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. इस पूर्ववर्ती राज्य में लगभग एक दशक बाद और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में पहले चरण में 24 सीटों पर और दूसरे-तीसरे चरण में क्रमशः 26 और 40 सीटों पर मतदान होगा.
नवंबर-दिसंबर, 2014 में पांच चरणों में हुआ था चुनाव
जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर, 2014 में पांच चरणों में हुआ था. तब यह एक राज्य था और लद्दाख इसका ही हिस्सा था. तब चुनाव के बाद पीडीपी और भाजपा ने सरकार बनाई थी. मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनी थी. इसके बाद दोनों पार्टी अलग हो गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया था. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान भाजपा नेता राम माधव वहां के प्रभारी महासचिव थे.
कौन हैं राम माधव? किन विशेषताओं के चलते मिली अहमियत
आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में 22 अगस्त 1964 को राम माधव का जन्म हुआ था. उन्होंने आंध्र प्रदेश से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और कर्नाटक की मैसूर यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद संघ से जुड़कर समाजसेवा का रास्ता चुना. संघ के प्रचारक, भाजपा के नेता, अंग्रेजी और तेलुगु भाषा के लेखक और विचारक राम माधव हिंद महासागर सम्मेलन और आसियान-भारत युवा शिखर सम्मेलन के क्यूरेटर रहे हैं. राम माधव ने जी-20 के हिस्से के तौर पर धर्म-20 फोरम में भी अहम भूमिका निभाई थी.
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