लाल चंदन ही नहीं एमपी के हरे सोने की भी है विदेशों में भारी डिमांड, जानिए खासियत

लाल चंदन की तरह ही बैतूल के लाल सागौन की भी विदेशों में भारी डिमांड है. बैतूल में पाए जाने वाले सागौन की कीमत भी सबसे अधिक है. इसकी हिफाजत वन विभाग द्वारा की जाती है.

Feb 19, 2025 - 11:39
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लाल चंदन ही नहीं एमपी के हरे सोने की भी है विदेशों में भारी डिमांड, जानिए खासियत

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले लाल सागौन के लिए फेमस है. यहां जंगलों में पाए जाने वाले लाल सागौन को हरा सोना बी कहते हैं. बैतूल का यह हरा सोना अपनी विशेषताओं की वजह से अलग ही पहचाना जाता है. इसकी डिमांड देश ही नहीं विदेशों तक है. इस साल अब तक वन विभाग 80 करोड़ रुपये का सागौन बेच चुका है. आइए जानते हैं इस सागौन की खासियत. 

सबसे अधिक है बैतूल के सागौन की कीमत

बैतूल जिले के जंगलों में पाए जाने वाला सागौन तेलीय किस्म का रेशेदार होता है. जो पॉलिश होते ही चमकने लगता है, यही वजह है कि यह अन्य जिलों में पाए जाने वाले सागौन के कीमती से बैतूल के लाल सागौन के दाम बहुत अधिक हैं. प्रदेश को शराब के बाद सबसे अधिक राजस्व देने वाले इस हरे सोने की हिफाजत भी वन विभाग सोने की तरह ही करता है.

सुरक्षा को हाईटेक करने का प्रस्ताव

बीते 3 सालों में अकेले बैतूल जिले से 270 करोड़ रुपए का राजस्व इस हरे सोने ने प्रदेश सरकार को दिया है. वर्तमान में बैतूल जिले के हमलापुर डिपो और भौंरा डिपो में लगभग 32 हजार घन मीटर सागौन रखा है. जिसकी नीलामी के बाद सरकार सैकड़ों करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा. वन विभाग के अधिकारियों ने हरे सोने की सुरक्षा को हाईटेक करने राज्य शासन को सीसीटीवी का प्रस्ताव भेजा है. जो मार्च में स्वीकृत हो जाएगा.

मौजूदा समय में वन विभाग ने बैतूल के सागौन डिपो की 24 घंटे कड़ी सुरक्षा लगा रखी है. सुरक्षा श्रमिकों से लेकर रेंजर तक के अधिकारी इसकी सुरक्षा में लगे रहते हैं. सरकार ऑनलाइन नीलामी के तहत सागौन को बेचती है. बैतूल का ए ग्रेड का सागौन डेढ़ लाख रुपए प्रति घनमीटर तक बिकता है. मध्य प्रदेश सरकार ने बैतूल के बेशकीमती सागौन की खूबियों की वजह से ही एक जिला एक उत्पाद में इसे शामिल कर जिले को एक नई पहचान दी है.

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