MP की इस सीट पर अजीब संयोग, जो एक बार जीता वह दूसरी बार में जरूर हारा
मुरैना विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास बड़ा अजीब रहा है. या यूं कहा जाए कि ऐसा संयोग रहा कि इस सीट पर एक बार जो विधायक बना वह लगातार दूसरी बार अपनी जीत नहीं दर्ज कर पाया.
चंबल क्षेत्र की अहम सीटों में से एक मुरैना विधानसभा का राजनीतिक सफर बड़ा ही गजब रहा है. यहां प्रदेश की मुख्य पार्टियों BJP और कांग्रेस के अलावा BSP यानी तीन पार्टियों के बीच समीकरण देखने को मिलता है. इसके अलावा यहां विधायकों को लेकर अजब-गजब संयोग भी है. BJP के गढ़ माने जाने वाले मुरैना जिले में कुल 6 विधानसभा सीट हैं, जहां 2018 में चुनावी समीकरण बिगड़ गया. कांग्रेस प्रत्याशियों ने बड़ी संख्या में वोट्स के साथ अपनी जीत दर्ज की. आइए देखते हैं मुरैना विधानसभा सीट का पूरा एनालिसिस-
अजब-गजब संयोग
इस सीट पर अजब-गजब संयोग है कि 1957 से जैसे ही चुनाव शुरू हुए तब से कोई भी प्रत्याशी लगातार दूसरी बार अपनी जीत नहीं दर्ज कर पाया. वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी राकेश मवई विधायक हैं, जिन्होंने सिंधिया के साथ BJP में शामिल हुए रघुराज सिंह कंसाना को उपचुनाव में शिकस्त दे दी थी.
जातिगत समीकरण
मुरैना विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण की बात करें तो यह गुर्जर बाहुल्य सीट है. हालांकि, यहां गुर्जर, ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के मतदाता प्रत्याशियों की हार-जीत का फैसला करते हैं.
यहां करीब 30 से 35 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं.
40 से 45 हजार जाटव समाज के वोटर्स हैं.
44 से 50 हजार गुर्जर मतदाता हैं.
20 से 25 हजार वैश्य समाज के वोटर्स हैं.
12 से 15 हजार क्षत्रिय वोटर्स हैं.
12 से 15 हजार मुसलमान हैं.
मतदाताओं की संख्या
मुरैना विधानसभा सीट में कुल मतादाताओं की संख्या 250298 है.
पुरुष मतदाता की संख्या 138279 है.
महिला मतदाताओं की संख्या 112005 है.
अन्य वोटर्स की संख्या 14 है.
कब किसने किया कब्जा
- 1957 में कांग्रेस से यशवंत सिंह
- 1962 में जनता पार्टी के जबर सिंह
- 1967 में भारतीय जनसंघ के जे सिंह
- 1972 में भारतीय जनसंघ से महाराज सिंह
- 1977 में फिर जनता पार्टी से जबर सिंह
- 1980 में कांग्रेस प्रत्याशी महाराज सिंह
- 1985 में भाजपा के जहर सिंह
- 1990 में भाजपा के सेवाराम गुप्ता
- 1993 में कांग्रेस के सोवरन सिंह
- 1998 में भाजपा से सेवाराम गुप्ता
- 2003 में भाजपा प्रत्याशी रुस्तम सिंह
- 2008 में बसपा के परशुराम मुदगल
- 2013 में भाजपा प्रत्याशी रुस्तम सिंह
- 2018 में कांग्रेस के रघुराज सिंह कंसाना
- 2020 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के राकेश मावई जीत गए
आगामी विधानसभा चुनाव की बात करें तो अब तक मुरैना सीट के लिए प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं हुआ है. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला है. हालांकि, बसपा भी समय-समय पर यहां सियासी समीकरण बनाती-बिगाड़ती नजर आई है. इस बार आम आदमी पार्टी भी यहां कड़ा मुकाबला दे सकती है क्योंकि AAP ने वर्तमान पार्षद रमेश उपाध्याय को टिकट दे दिया है.
MP Elections 2023: ऐसा सियासी किस्सा, जहां सुबह दिया इस्तीफा और शाम को टिकट पक्की