कितने अमीर हैं देश के अगले CJI सूर्यकांत? 1KG से ज्यादा सोना, 8 करोड़ की FD, 6 घर और 2 प्लॉट के मालिक
जस्टिस सूर्यकांत की अधिकतर संपत्ति सोने और जमीन/मकान के रूप में है। चंडीगढ़, नई दिल्ली, गुरुग्राम जैसे शहरों में उनके प्लॉट और घर हैं। वहीं, उनके नाम पर कई एफडी भी हैं, जिनकी वैल्यू 8 करोड़ से ज्यादा है।
भारत के मुख्य न्यायधीश बीआर गवई ने अगले चीफ जस्टिस की घोषणा कर दी है। जस्टिस सूर्यकांत देश के नए चीफ जस्टिस होंगे। वह 24 नवंबर को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे और 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे। जस्टिस सूर्यकांत करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट में उनकी संपत्ति के बारे में बताया गया है। जस्टिस सूर्यकांत के पास 8 करोड़ रुपये से ज्यादा की एफडी हैं। उनके पीएफ अकाउंट में भी 4.23 करोड़ रुपये हैं। हालांकि, उनके नाम पर कोई वाहन नहीं है, लेकिन उनकी पत्नी के पास एक वैगनर कार है।
जस्टिस सूर्यकांत के पास 6 घर
जस्टिस सूर्यकांत के पास चंडीगढ़ के सेक्टर 10 में 1 कनाल का घर है। वहीं, न्यू चंडीगढ़ की इको सिटी-II में उनका 500 वर्ग गज का प्लाट भी है। चंडीगढ़ के सेक्टर 18-सी में उनका 192 वर्ग गज का घर है। पंचकूला के गोलपुरा गांव में उनके नाम पर लगभग 13.5 एकड़ खेती के लायक जमीन है। गुरुग्राम के सुशांत लोक-1 में उनका 300 वर्ग गज का प्लाट है और डीएलएफ-II में 250 वर्ग गज का घर भी उनके नाम है। नई दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-1 में 285 वर्ग गज के घर में ग्राउंड फ्लोर और बेसमेंट उनका है। हिसार में जस्टिस सूर्यकांत के नाम पर पेटवार में 12 एकड़ खेती योग्य भूमि है और एक घर में एक तिहाई हिस्सा भी उनका है। यह उनकी पैतृक संपत्ति है। हिसार अर्बन स्टेट-II में 250 वर्ग गज के मकान में भी एक तिहाई हिस्सा जस्टिस सूर्यकांत का है। यह भी पैतृक संपत्ति है।
सोना-चांदी और एफडी में भारी निवेश
जस्टिस सूर्यकांत के परिवार के पास लगभग 1.1 किलोग्राम सोना है और छह किलो चांदी है। वहीं, उनके नाम पर कुल 16 एफडी हैं, जिनमें कुल 4,11,22,395 रुपये जमा हैं। उनकी पत्नी के नाम पर एक पीपीएफ अकाउंट भी है, जिसमें 49,90,733 रुपये जमा हैं। पत्नी के जीपीएफ अकाउंट में 3,74,03,026 रुपये हैं। उनकी दोनों बेटियों के पास 100-100 ग्राम सोना है। बड़ी बेटी के आठ एफडी अकाउंट में 34 लाख और पीपीएफ में 47 लाख रुपये जमा हैं। वहीं, छोटी बेटी की सात एफडी में 25 लाख और पीपीएफ में 47 लाख रुपये जमा हैं।
छोटे वकील से CJI तक का सफर
हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी, 1962 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत एक छोटे शहर के वकील से देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे, जहां वह राष्ट्रीय महत्व और संवैधानिक मामलों के कई फैसलों और आदेशों का हिस्सा रहे। उन्हें 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर में ‘प्रथम श्रेणी में प्रथम’ स्थान प्राप्त करने का गौरव भी प्राप्त है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में कई उल्लेखनीय फैसले लिखने वाले न्यायमूर्ति सूर्यकांत को पांच अक्टूबर, 2018 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्हें 2019 में उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल अनुच्छेद 370 को हटाने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिकता के अधिकारों पर फैसले देने के लिए जाना जाता है।
जस्टिस सूर्यकांत के अहम फैसले
न्यायमूर्ति सूर्यकांत हाल में राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों से निपटने में राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों से संबंधित राष्ट्रपति के परामर्श पर सुनवाई करने वाली न्यायालय की पीठ में शामिल हैं। वह उस पीठ का हिस्सा थे जिसने औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून को स्थगित रखा था, तथा निर्देश दिया था कि सरकार के समीक्षा करने तक इसके तहत कोई नयी प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने निर्वाचन आयोग से बिहार में मसौदा मतदाता सूची से बाहर रखे गए 65 लाख मतदाताओं का ब्योरा सार्वजनिक करने को भी कहा था। उन्होंने निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी राज्य में मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था।
महिलाओं के लिए आरक्षित कीं एक तिहाई सीटें
जमीनी स्तर पर लोकतंत्र और लैंगिक न्याय पर जोर देने वाले एक आदेश में, उन्होंने एक ऐसी पीठ का नेतृत्व किया जिसने गैरकानूनी तरीके से पद से हटाई गई एक महिला सरपंच को बहाल किया और मामले में लैंगिक पूर्वाग्रह को उजागर किया। उन्हें यह निर्देश देने का श्रेय भी दिया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन समेत बार एसोसिएशनों में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत उस पीठ का हिस्सा थे जिसने 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक की जांच के लिए शीर्ष अदालत की पूर्व न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की थी। उन्होंने रक्षा बलों के लिए ‘वन रैंक-वन पेंशन’ (ओआरओपी) योजना को भी बरकरार रखा था और इसे संवैधानिक रूप से वैध बताया तथा सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन में समानता का अनुरोध करने वाली महिला अधिकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी।
सुप्रीम कोर्ट में 300 से ज्यादा पीठों का हिस्सा रहे
सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति के बाद से वह 300 से अधिक पीठों का हिस्सा रहे हैं, तथा आपराधिक, संवैधानिक और प्रशासनिक कानून के क्षेत्र में न्यायशास्त्र में योगदान दिया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत उन सात न्यायाधीशों की पीठ में भी थे, जिसने 1967 के एएमयू के फैसले को खारिज कर दिया था, जिससे उसके अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खुल गया था। वह उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने 2021 में भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के कथित उपयोग की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी।
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