महामृत्युंजय मंत्र के रोजाना जाप से मिलते हैं अद्भुत फायदे, शंकर की रहती है विशेष कृपा

शिव पुराण के मुताबिक इस मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु और रोगों से मुक्ति मिलती है. चलिए जानते हैं रोजाना नियमित तौर पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से कौन से लाभ मिलते हैं

Dec 4, 2023 - 09:29
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महामृत्युंजय मंत्र के रोजाना जाप से मिलते हैं अद्भुत फायदे, शंकर की रहती है विशेष कृपा

जो व्यक्ति रोजाना नियमित तौर पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना है उस पर भोले शंकर बेहद प्रसन्न रहते हैं. भगवान शिव की स्तुति में कई ऐसे मंत्रों का वर्णन किया हुआ है जिनके जाप से जीवन के कई कष्ट और परेशानियां खत्म हो जाते हैं. उन्हीं में से एक महामृत्युंजय मंत्र है जिसको करने से व्यक्ति दीर्यआयु और प्रभावशाली बनता है. अगर आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करते हैं तो इसका दोगुना लाभ मिलता है. शिव पुराण के मुताबिक इस मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु और रोगों से मुक्ति मिलती है. चलिए जानते हैं रोजाना नियमित तौर पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से कौन से लाभ मिलते हैं.

महामृत्युंजय जाप के लाभ

नहीं होती अकाल मृत्यु

अगर आप रोजाना भोले के प्रिय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं तो इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. इस मंत्र के जाप से भगवान शंकर  प्रसन्न होते हैं और दीर्घायु का वरदान देते हैं. 

बीमारियों से निजात

जो व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र का रोजाना जाप करता है तो इसको न सिर्फ शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती बल्कि भय और दुर्बलता दूर होती है. इसलिए आपको निरोगी काया पाने के लिए रोजाना महामृत्युंजय मंत्र के जाप करना चाहिए. 

धन संपति में वृद्धि

अगर आप रोजाना महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं तो इससे आपके धन में बढ़ोत्तरी होती है. इस मंत्र के जाप से भोले की आप पर कृपा दृष्टि बनी रहती है जिससे आपको कभी भी आर्थिक तंगी नहीं झेलनी पड़ती है. 

मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी

जो व्यक्ति रोजाना नियमित तौर पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है उसका व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है. इससे समाज में उसका यश और सम्मान बढ़ने लगता है. 

होती है संतान प्राप्ति

जो इंसान रोजाना नियमित तौर पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है उसको भोले शंकर की असीम कृपा प्राप्त होती है जिससे उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. 

महामृत्युंजय मंत्र

ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।

साभार