राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री - गणतंत्र दिवस के मौके पर कौन देता है राष्ट्र के नाम संदेश?
आपने पिछले कई सालों में ना जाने कितनी बार 26 जनवरी का कार्यक्रम कर्तव्यपथ पर होने वाली परेड देखी होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर इस खास दिन पर पूरे राष्ट्र का संबोधन कौन करता है?
गणतंत्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है, जिसे हर साल 26 जनवरी को पूरे उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाता है. इस दिन भारत ने 1950 में अपना संविधान लागू किया था, जिससे देश एक संपूर्ण गणराज्य बना. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्र के नाम संदेश कौन देता है. अगर नहीं, तो आज हम आपको बताएंगे कि 26 जनवरी के मौके पर राष्ट्र को प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति, दोनों में से कौन संबोधित करता है.
देश के राष्ट्रपति करते हैं राष्ट्र को संबोधित
गणतंत्र दिवस पर मुख्य समारोह नई दिल्ली के कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) पर आयोजित किया जाता है. इस कार्यक्रम में भारत के राष्ट्रपति समारोह के मुख्य अतिथि होते हैं और राष्ट्र को संबोधित करते हैं. राष्ट्रपति अपने संबोधन में देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हैं और राष्ट्र की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य के विकास के लिए अपने विचार व्यक्त करते हैं. यह संबोधन न केवल देश की प्रगति को रेखांकित करता है, बल्कि नागरिकों को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का एहसास दिलाने का भी कार्य करता है.
अपने भाषण में इन बातों पर देते हैं जोर
राष्ट्रपति अपने भाषण में भारत के संविधान और उसकी महानता की चर्चा करते हैं. वे देश के लोकतांत्रिक ढांचे, सामाजिक न्याय, समानता और स्वतंत्रता की मूलभूत अवधारणाओं पर जोर देते हैं. यह संबोधन भारत के विकास, सुरक्षा और एकता को बनाए रखने के प्रति नागरिकों और सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करता है.
तीनों सेनाओं से जवान देते हैं सलामी
गणतंत्र दिवस परेड के दौरान, राष्ट्रपति भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के जवानों की परेड की सलामी लेते हैं. परेड में झांकियों के माध्यम से देश की सांस्कृतिक विविधता, प्रगति और परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है.
राष्ट्रपति का संबोधन देशवासियों के लिए प्रेरणा
इस दिन का राष्ट्रपति का संबोधन देशवासियों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत होता है. यह हमें याद दिलाता है कि एक नागरिक के रूप में हमारी जिम्मेदारी क्या है और कैसे हम अपने संविधान और देश के प्रति निष्ठा बनाए रख सकते हैं. गणतंत्र दिवस का यह संबोधन न केवल वर्तमान को प्रेरित करता है, बल्कि भविष्य के लिए भी एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है.
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