संसद में माइक ऑन-ऑफ करने का क्या सिस्टम, किसके पास होता है इसका स्विच?

संसद में विपक्षी सांसद अक्सर ये आरोप लगाते हैं कि उनका माइक बंद कर दिया जाता है. खुद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला कह चुके हैं कि इसका कंट्रोल स्पीकर के पास नहीं होता. आइए, जानते हैं कि माइक ऑन-ऑफ के लिए कौन जिम्मेदार है?

Jul 1, 2024 - 11:27
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संसद में माइक ऑन-ऑफ करने का क्या सिस्टम, किसके पास होता है इसका स्विच?

राहुल और खड़गे लगा चुके आरोप

स्पीकर बिड़ला ने दी प्रतिक्रिया

संसद में विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच अलग-अलग मुद्दों को लेकर चर्चा जारी है. लेकिन एक बार फिर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि स्पीकर उनका माइक बंद कर रहे हैं. ये पहली बार नहीं है, इससे पहले भी लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला पर विपक्षी सांसदों ने माइक बंद करने का आरोप लगाया है. हालांकि, ओम बिड़ला ने सोमवार को कहा कि आसन पर बैठा हुआ व्यक्ति माइक कंट्रोल नहीं करता. ऐसे में सवाल ये उठता है कि यदि स्पीकर के पास भी माइक का स्विच नहीं तो किसके पास है?

खड़गे और राहुल ने लगाए माइक बंद करने के आरोप

इससे पहले भी जब लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी NEET पर बहस की मांग कर रहे थे, तब उन्होंने आरोप लगाया था कि उनका माइक अचानक बंद कर दिया गया. इस पर स्पीकर बिड़ला ने कहा- यहां ऐसा कोई ऐसा बटन नहीं है, जिसके जरिये माइक बंद किया जाए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी राज्यसभा में ठीक इसी तरह का आरोप लगाया था. इसके बाद से ही माइक बंद होने का मुद्दा गरमा गया है. 

कौन चालू-बंद करता है माइक?

संसद में सभी सीटों का नंबर होता है. यही नंबर इनके माइक का भी है. संसद के दोनों ही सदनों के माइक एक चैंबर से जुड़े होते हैं. इस चैंबर में साउंड टेक्निशियन बैठते हैं. यहां पर एक इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड है, जिस पर सभी सांसदों की सीटों का नंबर लिखा होता है. माइक को यहीं से बंद या चालू किया जाता है. लोकसभा में इसका संचालन लोकसभा सचिवालय के कर्मचारी करते हैं और राज्यसभा में इसका संचालन राज्यसभा सचिवालय के कर्मचारी करते हैं. हालांकि, संसदीय नियमों के जानकारों का कहना है की ये अपने-आप बंद नहीं करते, बल्कि इन्हें कहा जाता है. 

किसके पास माइक बंद करवाने का अधिकार?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो माइक को बंद करने या चालू करने का निर्देश केवल सदन के स्पीकर ही दे सकते हैं. सदन में जब किसी के बोलने का मौक़ा आता है तो उसका माइक चालू कर दिया जाता है. लेकिन कोई हंगामा हो जाता है और सदन की कार्यवाही में खलल पड़ने लगता है तो स्पीकर माइक ऑफ करने का निर्देश दे सकता है.

शून्य काल में तीन मिनट का समय

नियम कहते हैं कि शून्य काल में सांसद को तीन मिनट तक बोलने का समय मिलता है, इस दौरान उनका मौक चालू होना चाहिए. जैसे ही समय पूरा होता है, उनका माइक बंद कर दिया जाता है. इसके बाद उस सांसद का माइक चालू किया जाता है, जिसका भाषण शुरू होना होता है. जब स्पीकर के द्वारा ये कहा जाता है कि उक्त बात रिकॉर्ड में नहीं जाएगी, तब भी माइक बंद किया जा सकता है. 

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