अब खुद देख सकेंगे आपके शरीर के अंदर क्या हो रहा? मेडिकल साइंस ने खोज निकाली कमाल की तकनीक

मेडिकल साइंस के जगत में रोज नई-नई क्रांति हो रही है. इसी में एक नई खोज हुई है, जिससे मरीज अपने शरीर में क्या चल रहा है, इसको भी देख पाएगा. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.

Oct 17, 2025 - 11:36
 0  7
अब खुद देख सकेंगे आपके शरीर के अंदर क्या हो रहा? मेडिकल साइंस ने खोज निकाली कमाल की तकनीक

साइंस और टेक्नोलॉजी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है. खासकर मेडिकल साइंस में आए दिन कोई न कोई नई खोज सामने आती रहती है, जो मरीजों और डॉक्टरों दोनों के लिए बड़ी मदद साबित होती है. अब ऐसी ही दो नई टेक्नोलॉजी चर्चा में हैं, जिनकी मदद से इंसान अपने शरीर के अंदर क्या चल रहा है, उसे खुद देख पाएगा. चीन के रिसर्चर्स ने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एक खास क्रिस्टल कैमरा तैयार किया है. यह कैमरा Perovskite Crystal से बना है और इसकी खासियत यह है कि यह गामा रेज को पकड़ने में बेहद फास्ट है. मेडिकल साइंस में गामा रेज का इस्तेमाल खास तरह की जांच और स्कैनिंग के लिए किया जाता है.

इस क्रिस्टल कैमरे की मदद से डॉक्टर आसानी से हार्टबीट, ब्लड फ्लो और शरीर के अंदर छुपी डिजीज को देख सकते हैं. यानी अब मरीज के शरीर के अंदर क्या चल रहा है, उसकी जानकारी और भी ज्यादा सही और जल्दी मिल सकेगी. इस टेक्नोलॉजी से स्पैक्ट स्कैन जैसी जांचें और ज्यादा एडवांस्ड और भरोसेमंद हो जाएंगी. रिसर्चर्स का मानना है कि यह तकनीक आने वाले समय में कैंसर और हार्ट डिजीज जैसी गंभीर बीमारियों को पकड़ने में डॉक्टरों के लिए बहुत मददगार साबित होगी.

दिल्ली में भी मेडिकल क्रांति

देश की राजधानी दिल्ली में भी मेडिकल साइंस की दुनिया में एक नई क्रांति आई है. सफदरजंग हॉस्पिटल और वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज में मरीजों को अब अपने शरीर को 3D में देखने की सुविधा मिल गई है. इसके लिए हॉस्पिटल में Anatomage Table नाम की एडवांस्ड मशीन लगाई गई है. यह टेबल किसी भी मरीज के CT और MRI स्कैन को डिजिटल 3D मॉडल में बदल देती है. यानी अब मरीज अपने हार्ट, हड्डियां और टिश्यू को बिल्कुल असली जैसी 3D तस्वीर में देख सकते हैं. सफदरजंग हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. संदीप बंसल का कहना है कि इस टेक्नोलॉजी से मरीज अपनी डिजीज और ट्रीटमेंट को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे. ऑपरेशन से पहले वे डॉक्टरों की बात को साफ-साफ देख सकेंगे और जो डर उनके मन में होता है, वह भी काफी हद तक कम हो जाएगा.

डॉक्टरों के लिए भी गेम चेंजर

डॉक्टरों के लिए भी यह टेक्नोलॉजी किसी बड़ी क्रांति से कम नहीं है. सर्जन अब ऑपरेशन रूम में जाने से पहले वर्चुअल प्रैक्टिस कर सकते हैं. वे पहले ही देख सकते हैं कि कहां से कट लगाना है और किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इससे ऑपरेशन का रिस्क कम हो जाएगा और मरीज की जान बचने की संभावना और बढ़ जाएगी. रेडियोलॉजिस्ट भी इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके मरीज की डिजीज के बढ़ने को 3D में देख सकते हैं और ट्रीटमेंट की एकदम सही प्लानिंग कर सकते हैं. इससे डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट दोनों और भी ज्यादा एडवांस्ड और सटीक हो जाएंगे.

मेडिकल स्टूडेंट्स को मिलेगा फायदा

इतना ही नहीं, मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए भी यह टेक्नोलॉजी बहुत फायदेमंद है. वे डिजिटल डेड बॉडी पर वर्चुअल डिसेक्शन कर सकते हैं. इससे उन्हें बॉडी की हर लेयर को आसानी से समझने का मौका मिलेगा. पढ़ाई के दौरान जिन रेयर डिजीज को देखने का मौका अक्सर नहीं मिलता, उन्हें भी छात्र इस वर्चुअल टेक्नोलॉजी से जान पाएंगे. यानी बिना कैडवर के भी मेडिकल एजुकेशन अब और बेहतर हो जाएगी. एक सीनियर डॉक्टर ने इस टेक्नोलॉजी के महत्व को समझाते हुए कहा कि अब मरीज सिर्फ इलाज लेने वाले नहीं रहेंगे, बल्कि अपनी डिजीज को समझने और फैसले लेने में डॉक्टरों के साथ एक्टिव पार्ट बनेंगे.

साभार